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डेरहा बबा

मोर गांव के नाम भोलापुर हे। पहिली इहां सौ छानी रिहिस होही। अब कतको छानी के दू-दू , चार-चार टुकड़ा हो हो के गिनती दू सौ ले ऊपर हो गे होही। छानी बंटा गे, खेत-खार घला बंटा गे। मन तो पहिलिच बंटा जाय रहिथे। मन बंटाइस तंहा ले गांव घला बंटा गे। अब घर अउ […]

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कहानी संग्रह : भोलापुर के कहानी – लेखकीय

सोंचव छत्तीसगढ़ी भाषा – साहित्य-लेखन आज पर्याप्त मात्रा म होवत हे। बड़ा शुभ लक्षण हे। फेर छत्तीसगढ़ी समकालीन साहित्य के बात जब होथे तब हमला मुंह ताके बर पड़ जाथे। साहित्य के प्रवृत्ति अनुसार विद्वान मन वोकर नाम घरथें, जइसे -रीतिकालीन साहित्य, प्रगतिशील साहित्य आदि। अइसनेच समकालीन साहित्य ह घला प्रवृत्ति-विशेष के साहित्य होथे, येकरो […]

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भोलापुर के कहानी : कहानी संग्रह

भूमिका भोलापुर के कहानी : उपन्यास के सुवाद वाला कहानी संग्रह डॉ. जीवन यदु चाहे संस्कृत भासा होय के चाहे हिन्दी भासा होय – कविता के रचना पहिली होइस। पाछू कहिनी-लेख-नाटक लिखे गे हे। संस्कृत म त आने-आने गियान के पोथी मन ल घलो कविता म लिखे के परंपरा रहिस। बइद-गुनिया मन के ग्रंथ ल […]