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गीत प्रबंध काव्‍य

कुंवर दलपति सिंह के राम-यश मनरंजन के अंश

सीता माता तुम्हार करत सुरता रे, झर झर बहै आंसू भीजथे कुरता रे पथरा तक पिघले टघलैं माटी रे। सुनवइया के हाय फटत छाती रे, कोनों देतेव आगी में जरि जातेंव रें, जिनगी में सुख नइये में मरि जातेवें रे। कहिके सीता माता अगिन मांगिन रे, कुकरी के बरोबर कलपे तो लागिन रे। ठौका तउने […]