Lalit Nagesh

बेंदरा बिनास

चार पहर रतिया पहाईस ताहने सूरुज नरायण ललाहूं अंजोर बगरावत निकलगे। ठाकुरदिया के नीम अउ कोसुम के टीप डंगाली म… Read More

6 years ago

गज़ल – ओखी

तोर संग जब जब मोर जीत के दांव होती आही, पासा के चले बर चाल तोला बस गोंटी चाही! कभू… Read More

6 years ago

व्यंग्य : गिनती करोड़ के

पान ठेला म घनश्याम बाबू ल जईसे बईठे देखिस ,परस धकर लकर साइकिल ल टेका के ओकर तीर म बईठगे।… Read More

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छत्तीसगढ़ी कहानी : सजा

आज जगेसर कका ह बिहनिया ले तियार होके पहुंचगे रहय। "ले न भांटो कतका बेर जाबो ते गा!दस तो इंहचे… Read More

6 years ago

छत्तीसगढ़ी गज़ल

कब ले खड़े हस तै बताय नही ए धुंधरा म बिया चिन्हाय नही! मुहु मांगे मौसम मयारू संगी बर हुदुप… Read More

6 years ago

छत्तीसगढ़ी गज़ल

बनना हे त जग म मयारू बन के देख पढ़ना हे त मया के दू आखर पढ़ के देख! अमरीत… Read More

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छत्तीसगढ़ी गज़ल

लईका ले लईका के बाप होगे करिया ले सादा चुंदी अपनेआप होगे! बिन मंतर भोकवा कस देखत हे दाई नेवरा… Read More

6 years ago

मन के बिचार

'स्वच्छ भारत मिशन' के मनमाने सफलता ल देख के मोर मन म एक ठिन सपना आत हे ,हमर सरकार ल… Read More

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छत्तीसगढ़ी गीत ‘हाथी हाथी’

अभी हमर कोति जंगलिया हाथी बनेच दंदोरे हे, धान चंउर ल बनेच रउंद दारे हे, उही दुख ल गाय हंव।… Read More

6 years ago

कविता : बेरा हे गीत गाय के

शीत बरसावत आवय जड़काला सोनहा बाली म मोती कस माला पिंवर होगे पहिरे हरियर ओनहा जइसे दुलहिन बिहाव के ओढ़े… Read More

6 years ago