परकीति बर झिल्ली बिन ईलाज के अजार होगे जगा जगा पहाड़ कस कचरा के भरमार होगे! सरय नही गलय नही साग भाजी कस पचय नही खा के मरत गाय गरूवा एक नही हजार होगे! जोंक कस चपके एकर मोह मनखे के मन म घेरी बेरी बंद चालू करत एला सरकार होगे! लजाथे शरमाथे झोला धर के रेंगे बर जहुंरिया देखव हाट म हलाकान कइसे खरीददार होगे! का होही दूए तीन किसम ल बउरे बर छेंके ले इंहा तो संसार म पलासटिक कई परकार होगे! कोन जनी कब छोंड़ही पाछु ल…
Read MoreTag: Lalit Nagesh
छत्तीसगढ़ी कविता : सीडी महिमा
गजब जिनिस ए सीडी संगी समाये इही म जम्मो संसार काकरो बर ये धन दोगानी काकरो बर ये हरे तलवार! देश बिदेश के परब संस्कीरति देखाय बताय सब ल उघार मनरंजन बर घर घर आए धरके बिडियो सनीमा अवतार! छोटे बड़े सब आपिस मन म कागज पत्तर के कम होगे काम जब ले बगरे ए बहुत गुणकारी जम्मो लेवत हे एकरेच नाम! हितकारी सरकारी ओजना ह चारो कोति इही म बगरथे जइसन काम के वइसन परणाम पानी म हागबे जरूर उफलथे! कहिथें तेलघानी राजधानी अउ कहिथें संस्कारधानी देखत सुनत हन…
Read Moreघर के फुलवारी
आनी बानी के फूल सजा के लिखथें मया पिरीत के परचा घर अंगना म फूले फुलवारी आओ कर लेथन एकर चरचा! छत्तीसगढ़ के ये आय चिन्हारी लाली पिंवरी चंदैनी गोंदा सादा सुहागा फूल दसमत ले सुघराये गजब घर घरोंदा! मुच मुच मुसकाये रिगबिग चिरैया मन लुभाये झुंझकुर गोप्फा पचरंगा लाली लाली लहराय मंदार पाठ पूजा बर होथे बड़ महंगा! हवा म मारे मंतर मोंगरा अपने अपन मन खिंचत जाय दिन भर के लरघाय जांगर रातरानी ले बिकट हरियाय! महर महर ममहाय दवना गोरी के बेनी म झुल झुल जाय देख…
Read Moreसुवा गीत : कही देबे संदेश
सुवा रे कही देबे दाई ल संदेश बेटी ल भेजही पढ़े बिदेश बिहाव के संसो ल कबे अभी तै मेट ! सुवा रे…..! बड़े भईया ल पढ़ाये छोटे भईया ल पढ़ाये पर के धन कही कहीके हम ल रंधना रंधवाये, बनके साहेबवा करत हे कोन देखरेख !सुवा रे…..! पढ़ के बेटी दू आखर हो जाही समझदार अपन महिनत ले सेवा बजाही लागा न काकरो उधार, बेटी बेटा म झन कर अब तै भेद! सुवा रे……! भुख भगाय खेती ले घर सुघराय बेटी ले बनथे बिगड़थे हमर भविश दाई ददा के…
Read Moreछत्तीसगढ़ी गोठियाय बर लजावत हे
छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया चारो कोति शोर सुनावत हे फेर इंहा के मनखे छत्तीसगढ़ी,गोठियाय बर लजावत हे जब ले हमर राज बनिस,छत्तीसगढ़ के मान बाढ़िस खेत कोठार गांव गली,बनिहार किसान के सनमान बाढ़िस जेकर ले पहिचान मिलिस उही ल दुरियावत हे फेर इंहा….., सुजान सियान हमर पुरखा के,संवारिन करके राखा गा जब ले धरे चेतलग काया,पाये गुरतुर महतारी भाखा गा अड़हा राहत ले माई समझे,पढ़लिख मोसी बनावत हे फेर इंहा……, शिक्छा के अंजोर बगरगे,गांव गांव एबीसीडीईएफजी इही म पढ़ना अउ लिखना,लहुटत जीभ कइसे देख जी सुनके एला हमर ‘राजभाषा’ मनेमन म…
Read Moreफटाका नइ फुटे’ (दिल्ली के बिषय म)
नइ बाजे जी ,नी फूटे न आसो के बछर म दिल्ली शहर म ढम ढम फटाका नइ फूटे न देवारी तिहार म एनसीआर म अउ तिर तखार म फटाका नइ फूटे न नान्हे नान्हे नोनी बाबू जिद करही बिटाही सुरसुरी चकरी अउ अनार कहां ले बिसाहीं, दुसर जिनिस म भुलियारही लइका मन ल घर घर म आसो के बछर म एकर धुआं ले बाताबरण म कहिथे भारी होथे परदुषण तेकरे सेती बेचईया मन के जपत कर ले लयसन, ऊंकरो जीव होगे अभी अधर म आसो के….., देश चढ़त हे बिकास…
Read Moreखेत के धान ह पाक गे
दुख के बादर ह भाग गे ,खेत के धान ह पाक गे देख किस्मत ह जाग गे ,जतनाए रखवारी राख के! भागिस कुंवार कातिक आगे हमागे जड़काला हरियर लुगरा पिंवर होगे,सोनहा सोनहा माला बने फूलिस बने फरिस बोये बिजहा मांग के दुख के बादर…….., जोरा करले तै पानी पसिया के जोर ले संगी साथी करमा ददरिया झड़त झड़त ,टेंवाले हंसिया दांती बिताए दिन चौमासा लई मुर्रा ल फांक के, दुख के बादर………, चरर चरर हंसिया चले ओरी ओरी करपा भरर भईया कोकड़ा भागे मुसवा जोरफा जोरफा बिला म कंसी गोंजाये…
Read More