गुरू-पून्नी

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] गुरू के महत्तम बर संत मन के कहना हे के यदि बरम्हा-बिस्नु-महेस ह ककरो ले घुस्सा होगे हे त ओकर ले ये दुनिया म एक-अकेल्ला गुरू ही हे जउन ह तिरदेव के घुस्सा ले बचा सकत हे, फेर यदि गुरू ककरो बर घुस्सा होगे त ये दुनियां म अइसन कोन्हों नइहे जउन ह गुरू के घुस्सा ले बचा सकय, तिरदेव मन घलो नइ बचा सकय| गुरू-पुन्नी के सुघ्घर पबरीत बेरा म आवव गुरू काला कहिथे अउ गुरू के परकार के होथे, ओकर बारे…

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गदहा मन के मांग

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये खबर ला सुनव”] एक दिन गदहा मन के गांव म मंझनिहां बेरा हांका परिस- गुडी म बलाव हे हो- ढेंचू , जल्दी जल्दी सकलावत जाव हो ढेचू। सुनके गांव के जम्मो गदहा गुडी म सकलागे, कोतवाल गदहा ल पूछेगिस- कोन ह मईझनी-मंझनिहा बईठका बलाय हे ? तब एकझन सियान गदहा ह बोलिस-में ह बलायहंव ग बईठका ल, बात ये हे के आज बिहनिया बेरा जब में ह ईस्कूल कोती चरेबर गेरहेंव, त ईस्कुल के खिडखी ह खुल्ला रहिस हे,ओती ले अवाज आवत रहिसहे जेमा- बडे गुरूजी…

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कबीर जयंती : जाति जुलाहा नाम कबीरा बनि बनि फिरै उदासी

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये खबर ला सुनव”] परमसंत कबीर दास जी अईसन कलम के बीर हरे जे ह अपन समय के समाज म चलत धरम अउ जाति के भेदभाव, कुरीति, ऊंचनीच,पाखंड, छूवाछूत अउ आडंबर के बिरोध म अपन अवाज ल बुलंद करिस अउ समाज म समता लाय खातिर अपन पूरा जीवन ल लगा दीस । ओ समय म लोग-बाग मन एक तरफ तो मुस्लिम राजा मन के अत्याचार म त्रस्त राहय त दूसर तरफ हिंदू पंडित मन के कर्मकांड, पाखंड अउ छुवाछुत ले। वईसे तो कबीर दास जी ह पढ़े-लिखे…

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बिचार : नैतिकता नंदावत हे

आज में ह बजार कोती जात रहेंव, त रसता म मोर पढ़ाय दू-झिन लईका मिलिस, वोमा के एक झिन लईका ह मोला कहिथे- अउ गुरूजी, का चलत हे ? त तूरते दूसर लईका कहिथे- अउ का चलही जी, फाग चलही| अतका कहिके दुनोंझिन हांसत हांसत भगागे, में ह तो ये सब ल देख-सुन के सन्न रहिगेंव, देख तो! ये लईका मन ल, गुरूजी ल घलो नइ घेपत हे, मोर करा ये हाल हे त दूसर करा अउ का नइ कहत-करत होही| एक हमर जमाना रहिसहे, जब गुरूजी ल दुरिहा ले…

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बुद्ध-पुन्नी

बईसाख के अंजोरी पाख के पुन्नी के दिन ल बुद्ध-पुन्नी काबर कहे जाथे ? त एखर उत्तर म ये समझ सकत हन के आज ले लगभग अढ़ई हजार बछर पहिली इही दिन भगवान बुद्ध ह ये धरती म जनम धरके अईस, अउ पैतीस बछर के उमर म इही दिन ओला पीपर रूख के नीचे म बईठे रहिस त ओखर तपस्या के फल माने सच के गियान ह अनुभव म अईस, अउ इहीच्च दिन अस्सी बछर के उमर म वो ह अपन देह ल छोड़ के ये दुनिया ले चल दिस|…

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