नंदावत हे लोककला, चेत करइया नई हे…

गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिहा से खास बात ‘देवार डेरा’, ‘चंदैनी गोंदा’, कारी बर लिखे गीत अऊ कवि सम्मेलन मा सोझेच अपन मन के बात कहइया गीतकार कवि लक्ष्मण मस्तुरिहा के कहना हे कि नवा राज बने नौ बछर बीतगे फेर छत्तीसगढ़ के लोककला के चिन्हारी करइया नई मिलीस। जतका बड़का आयोजन होइस ओमा दिल्ली, बम्बई के कलाकार ला नेवता देइन, इहां के कलाकार के पूछारी नई हे। इही हाल रईही त हमर लोककला नंदावत देरी नई लागय। कतका उछाह उमंग नवा राज बनिस त मन मा रहिस फेर मन के साध…

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मन डोले रे मांग फगुनवा …. बादर के दिन म फागुन लावत हें भाई लक्ष्‍मण मस्‍तुरिहा

छत्‍तीसगढ़ के नामी कबि गीतकार साहित्‍यकार लक्षमण मस्‍तुरिहा कवि सम्‍मेलन म – आरंभ मा पढव : – साथियों मिलते हैं एक ब्रेक के बाद

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