Laxmi Narayan Lahare

कविता: कुल्हड़ म चाय

जबले फैसन के जमाना के धुंध लगिस हे कसम से चाय के सुवारद ह बिगडिस हे अब डिजिटल होगे रे… Read More

5 years ago

जिनगी जरत हे तोर मया के खातिर

जिनगी अबिरथा होगे रे संगवारी सुना घर - अंगना भात के अंधना सुखागे जबले तै छोड़े मोर घर -अंगना छेरी… Read More

5 years ago

बंदत्त हंव तोर चरन ल

गांव के मोर कुशलाई दाई बिनती करत हंव मैं दाई सुन ले लेते मोरो गुहार ओ दुखिया मन के दुख… Read More

5 years ago

बसंत रितु आगे

बसंत रितु आगे मन म पियार जगागे हलु - हलु फागुन महीना ह आगे सरसों , अरसी के फूल महमहावत… Read More

5 years ago

दादा मुन्ना दास समाज ल दिखाईस नावा रसदा

रायगढ़ जिला के सारंगढ़ विकास खंड के पश्चिम दिसा म सारंगढ़ ल 16 किलोमीटर धुरिया म गांव कोसीर बसे आय।… Read More

5 years ago

खिलखिलाती राग वासंती

खिलखिलाक़े लहके खिलखिलाक़े चहके खिलखिलाक़े महके खिलखिलाक़े बहके खिलखिलाती राग वासंती आगे खिलखिलाती सरसों महकती टेसू मदमस्त भँवरे सुरीली कोयली… Read More

5 years ago

बसंत आगे रे संगवारी

घाम म ह जनावत हे पुरवाही पवन सुरूर-सुरूर बहत हे अमराई ह सुघ्घर मह महावत हे बिहिनिहा के बेरा म… Read More

5 years ago

सरसों ह फुल के महकत हे

देख तो संगी खलिहान ल सरसों ह फुल गे घम घम ल पियर - पियर दिखत हे मन ह देख… Read More

5 years ago

मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली

संगी - जहुरिया रहिथे मोर गांव म हरियर - हरियर खेती खार गांव म उज्जर - उज्जर इहां के मनखे… Read More

5 years ago

अपन भासा अपन परदेस के पहचान

संपादक ये आलेख के लेखक के 'प्रदेश' शब्‍द के जघा म 'परदेस' शब्‍द के प्रयोग म सहमत नई हे। अइसे… Read More

5 years ago