Laxmi Narayan Lahare

कविता : मन के मोर अंगना म

सखी रे ! बसंत आगे मन के मोर अंगना म कोयल भुलागे अपन बोली बर-पीपर के पान बुडगागे अबीर धरे… Read More

7 years ago

कविता : कहॉं लुकाये मोर मईया

कहॉं लुकाये मोर मईया तोला खोज डारेंव ओ कोने गांव - नगर डगर में मईया, कोने शहर में मईया जस… Read More

7 years ago

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.

कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा..... मंगल गीत गावत हांवे झुमत हें सेवा म जगर बगर जोत जलत… Read More

7 years ago

कविता : नोनी बर फुल

नोनी बर फुल .... घर के अंगना म फुले हे कनेर के फुल पिअर -पियर दिखत हे डाली म झुलत… Read More

7 years ago