तुंहर मन म का हे अपन अंतस ल बोल दव मोर मन के गोठ ल सुन लव अभी तो मान लव जो हे बात हांस के कही दव जिनगी के मया म रस घोल दव अभी तो बदलाव कर दव महुँ हंव किनारा म मझधार ल पार करा दव मया के गोठ हांस के बता दव… लक्ष्मी नारायण लहरे ,साहिल, कोसीर
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दुखिया मन के दुःख हरैया
दुखिया मन के दुःख हरैया, मंगल करैया जय हो तोर श्री गणेशा जेन आथे तोर दुवरिया, मन के मुराद हो जाथे पूरा नैइ जानो मय पूजा -पाठ, नैइ जानो मय लन लबारी बिनती हावे मोर गणेशा, दुःख हरलो मोर आज सजे हे तोर भुवना जय जय श्री गणेशा जय हो तोर गणराज चमकत हे तोर दुवरिया झुमत नाचत हे भगत अउ दुखिया अज्ञानी अउ ज्ञानीजन पूजत हे सुमरत हे तोला सबके बिगड़ी बनाथस मंगल करैया जय हो तोर श्री गणेशा लक्ष्मी नारायण लहरे साहिल कोसीर सारंगगढ़ रायगढ़
Read Moreहमर छत्तीसगढ़
सुआ दरिया तोता मैना हमर छत्तीसगढ़ के पहचान आय मीठ बोली कोयली के तरिया नरवा हमर मान जंगल पसु पक्छी हमर मितान सुग्घर बोली हमर छत्तीसगढ़ी भाखा मया के रस घोलत हे संगी संगवारी के इंहा हे चिन्हारी गाँव म जिनगी सुघ्घर बीतत हे नीम पीपर के छाँव हे अमरैया म किसिम किसिम के पक्छी गाँव के चौपाल गाँव के सियान कतेक सुग्घर हे गाँव विचार मेला ठेला बाजार हाट गाँव के पहचान हमर छत्तीसगढ़ हमर पहचान लक्ष्मी नारायण लहरे “साहिल” गाँव कोसीर जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़
Read Moreआँखी के काजर
भुला डारे मोला काबर बैरी बनाये तोर आँखी के काजर हाथ के कंगन मोला अबड़ आथे सुरता तोर गुस्सा तोर हसना तोर नखरा तोर मीठ बोली सच म गांवली गाँव मोर सुरता कराथे बर पीपर के छाँव तोर अंगना के टूटहा खटिया डर डर के तोर गली म जाना छुप छुप के मीठ बोली बोलना अब सपना होगे तोर संग बैठना बैरी रहिन तोर पारा के संगवारी सब अब संगवारी होगीन जबले तोर गवना होइस हे मोर पुछैया मन मोला भुलागींन अब तो तेही ह मोर मया ल मुरेछ देहे…
Read Moreममा घर के अंगना
नाना – नानी घर खेलेंन कुदेंन चांकी भवरीं अउ मैना उड़ नीम के छाँव रहिस कबूतर के घर म डेरा छोटे नाना संग घूमे ल सिखेंन ममा घर के अंगना भई भई सब अलग बिलग होगे अंगना होंगे अब सुना कोनो ल कोनो से मतलब निये नीम के छाँव बुडगागे अंगना के कबूतर उड़ागे घर होगे सुना सुना पास पड़ोस के संगवारी भुलागींन तरिया के पानी सिरागिस गली खोल के बैठाया सिरागिस सुना होगे घर अंगना बछर बीत गईस अब भांचा सुने बर नाना – नानी घर ममा घर के…
Read Moreखिल खिलाके तोर मुस्काई
खिलखिलाके तोर मुस्काई अबड़ मोला सुहाथे मुड़ मुड़ के तोर देखना गजब भाथे हंसी हंसी म संगवारी मन तोर करथे चारी गजब हे तोर संगवारी खिलखिलाना घर के दुआरी म अंगना के कोना म सड़क के किनारे तरिया के पार म पड़ोस के कुँआ म तोर होथे चारी सबो कहिथे तोला निचट हे सुघ्घर मोर मन के भीतरी म आँखी के पुतरी म तहीं हस संगवारी तोर खिलखिलाई मोर जीव के होंगे काल निचट तोर सुघ्घराई अबड़ सताथे संझा बिहनिया गांवली बस हंसी हंसी म करथे तोर चारी खिलखिलाके तोर…
Read Moreअमरैया के छाँव म
गांव के अमरैया हावे तरिया के पार म बारो महीना हवा बहत हे सुर सुर छाँव म हावे टूटहा झोपड़ी डोकरी दाई सुलगाहे हे आगी खुर खुर खांस्त हे सड़क ल सुनावत हे देख तो डोकरी दाई अमरैया म जिनगी गुजारत हे लोग लईका मन छोड़ दिन साथ अब अमरैया म हावे रुख राई के बनके रखवार जिनगी जियत हे अपन मन के अब भुलागे दुःख अउ खुसी के चोहना बेटा जबले होंगे परबुधिया अब कोनो निये पुछैया बस रुख राई के बने हे रखवार अमरैया म अपन जिनगी काटत…
Read Moreछत्तीसगढ़ी दिवस 28 नवम्बर विशेष
हिंदी हिंदुस्तान के अउ छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ के सान आय एक दसक बीत गईस फेर महतारी भाखा हमर 8 वीं अनुसूची म सामिल नैइ हो पाईस छत्तीसगढ़ राज बने 17 बछर होगे। नवम्बर महीना ह छत्तीसगढ़ के परब आय। नवम्बर महीना ह छत्तीसगढ़ीहा मन बर दसहरा, दिवाली अउ होली के परब ल कम नोहे। 1 नवम्बर 2001 के हमर छत्तीसगढ़ ह नवा राज बनिस अउ 28 नवम्बर 2007 के विधानसभा म सरव सम्मति ले “राजभासा” के रूप म स्वीकिरीत करे गईस। छत्तीसगढ़ राज बनिस त हमर छत्तीसगढ़ में खुसी के ठिकाना…
Read Moreओहर बेटा नोहे हे
ओहर बेटा नोहे हे! परसा के ढेंटा आय लाठी ल टेक टेक के सडक म बाल्टी भर पानी लानत हे देख तो डोकरी दाई ल कैसे जिनगी ल जीयत हे कोनो नइये ओखर पुछैया अपन दुख ल लेके बडबडावत हे कभू नाती ल, कभू बेटा ल, कभू बहू ल गोहरावत हे पास पडोस के मन ल अपन पिरा ल सुनावत हे 1 रूपया के चउर अउ निराश्रीत पेंषन म जिनगी ल गुजारत हे नती के हावय डोकरी दाई बर मया चाय पानी रोज पियावत हे पडोसी ह भुख के बेरा…
Read Moreकविता : अब भइगे !
अब भइगे बंदुक ल छोड दव बस्तर के माटी ल झंन रंगव महतारी के कोरा सुना होगे आॅखी ले आंसु बोहवत हे छोटे बहिनी राखी ल थारी म सजाये हे नान नान लईका मन रस्दा देखत हें नावा बोहासिन के मांग ह सुना होगे पडोसी के बबा गुनत हे अपन नाती देख रोअत हे तुमन ल लाज निलागे मुरख हव निचट कोनो अपन भाई ल छुप के मारथे का काबर उदिम मचाये हव बस्तर के माटी ल काबर बदनामी म डारे हव अब भइगे बंदुक ल छोड दव बस्तर के…
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