मंय छत्तीसगढ़ी बोलथंव मंय मन के गॉंठ खोलथंव छत्तीसगढ़ियामन सुनव मोर गोठ ल धियान गॉंव-गॉंव म घुघवा डेरा नंजर गड़ाहे गिधवा-लुटेरा बांॅध-छांद के रखव खेती-खार अऊ मचान एक-अकेला छरिया जाहू जुरमिल दहाड़व बघवा समान मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव तूं सुनव देके कान चार-चिरोंजी पुरखऊती ए जंगल जिनगानी लिखाहे ते बस्तर म खून कहानी करिया कपटीमन रचाहे घोटुल-घोटुल गुंडाधूर निकलव भूमकाल बर उठावव तीर-कमान मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव तूं सुनव देके कान करजा के सुनामी म बुड़गे रूख लटके किसान हे रेती कस किसानी गंवाथे किसान होथे गुलाम हे गॉंव-गॉंव ले किसान निकलव…
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गुंडाधूर
जल, जंगल, माटी लुटे, ओनीस सौ दस गोठ सुनावं रंज देखइया बपरा मन ला, हंटर मारत चंउड़ी धंधाय गॉंव-टोला म अंगरेज तपे, ळआदिबासी कलपत जाय मुरिया, मारिया, धुरवा बईगा, जमो घोटुल बिपत छाय भूमकाल के बिकट लड़इया, कका कलेंदर सूत्रधार बोली-बचन म ओकर जादू, एक बोली म आए हजार अंगरेजन के जुलूम देखके, जबर लगावे वो हुंकार बीरा बेटा गोंदू धुरवा ला, बाना बांध धराइस कटार बीर गुडाधूर जइसे देंवता, बस्तर के वो राबिनहुड गरीबन के मदद करइया, वो अंगरेजन ल करे लूट आमा डार म मिरी बांधके, गांव म…
Read Moreछत्तीसगढ़ के आसा, छत्तीसगढ़ी भासा
(छत्तीसगढ़ी राजभासा दिवस, 28 नवम्बर 2017 बिसेस) भासा के नाम म एक अऊ तामझाम के दिन, 28 नवम्बर। बछर 2007 ले चले आथे। ये दिन गोठ-बात, भासनबाजी, छत्तीसगढ़ी गीत-कविता, किताब बिमोचन, पुरस्कार बितरन। बस ! मंच ले उतरे के बाद फेर उही हिन्दी-अंगरेजी म गोठ। छत्तीसगढ़ी ल तिरया देथे । आज छत्तीसगढ़ी राजभासा के जनमदिन ए। राजनीतिक-समाजिक नेता, पत्रकार-साहितकार, कलाकार-कलमकार, अधिकारी-करमचारी अऊ जम्मो छत्तीसगढ़िया बर गुनान करे के दिन ए । सबे कहिथे के छत्तीसगढ़ी बड़ गुरतुर भासा ए। एकर गोठ ह अंतस म उतरथे। एकर ले अक्तिहा छत्तीसगढ़ी के…
Read Moreतोला लाज कइसे नइ लागे ?
धनी घर के ऐ चातर करइया, खेत बेंचके ऐ नौकर बनइया तोर किसानी गंवावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? सरकारी चांऊर म मेछरावथस, चेपटी पी के पटियावथस तोर जुवानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? करिया पूंजी के घोड़ा दंउड़थे, देसराज म मुनादी होगे खेत-खेत म पलांट बइठावथे, पूंजीपति बर मांदी होगे अन्न उपजइया किसान बपरा ह, देख तो कचरा-कांदी होगे पुरखऊती बिगाड़ के गुलामी करइया खेत बिगाड़ के सियानी करइया तोर सियानी घुनावथे रे ! तोला लाज कइसे नइ लागे ? धान कटोरा…
Read Moreसुरता आथे रहि-रहिके
सुरता आथे रहि-रहिके ननपन जिनगानी के, सुरता आथे ना दाई के रांधे सिल-बट्टा के, कुंदरू-करेला चानी के, सुरता आथे ना कहॉं गंवागे वो बेरा ह कका के गोठ, ददा के बानी के, सुरता आथे ना काकी लिपे गोबर पानी, गोकुल लागे अंगना तुलसी चांवरा म दीया बारे, खोपा म धारे देवना चरर-चरर दुहनी बाजे, महर-महर मेहरी सियान दाई दही बिलोए, बबा चुरोए लेवना खाके चटनी-चीला, बीनन सीला वो भर्री के झाला, बतावंव काला वो मया बर मन सुरर जाथे ना बेलन चले, दंउरी चले, माते उलान बांटी जिनगी के गाड़ी…
Read Moreअजब-गजब
अजब संसार होगे, चोर भरमार होगे चोरहा के भोरहा म चंउकीदार उपर सक होथे सच बेजबान होगे, झूठ बलवान होगे बईमान बिल्लागे ते, ईमानदार उपर सक होथे मुख बोले राम – राम, पीठ पीछु छुरा थाम बेवफा बिल्लागे ते वफादार उपर सक होथे रखवार देख बाग रोथे, जंगल म काग रोथे वरदी म दाग देख, थानादार उपर सक होथे दूभर ले दू असाड़, जिनगी लगे पहाड़ नैनन सावन-भादो, एला खार-खेती कहिथे पानीदार गुनाह करे, कानून पनिया भरे जनता जयकार करे, एला अंधेरगरदी कहिथे ढेकना कस चूसथे, मुसवा कस ठूंसथे बोहाथे…
Read Moreसुकवा कहे चंदा ले
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे चोला चिटियाएहे, मन चंगा नइ दिखे खुमरी नंदागे कहॉं, खुरपा नइ दिखे खार सिरागे कहॉ, करपा नइ दिखे बिलासपुर म जइसे अरपा नइ दिखे सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे खांसर नंदागे, दमांद आवै दुलरू बईला के गर म बाजे झूल घुंघरू नंदिया तीर बंसी बाजे उही बेरा म राग बखरी ह छेड़े कुऑं – टेड़ा म मुटियारी खोपा म वो दावना नइ दिखे सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे कोठार नंदागे, कोठा नइए लछमी अगोरत राहे दूध, दही, कोरनी नांगर…
Read Moreजागो हिन्दुस्तान
सुनो रे संगी ! सुनो रे सांथी ! सुनो मोर मितान ! देसी राज म गोहार होवथे, होगे मरे बिहान ! जागो-जागो, गा जवान ! जागो-जागो, गा किसान ! जागो, जम्मों हिन्दुस्तान ! अजादी संगी ! रखैल होगे, ठाट-बाट अउ पोट के अंधरा कानून कोंदा-भैरा, पग-पग म खसोट हे ईमान के इनाम लंगोटी, बईमान बिछौना नोट हे देस-राज बर सहीद होगे, होगे जे बलिदान दाना-दाना बर तरस जथे, तिंकर लइका अउ सियान ! जागो-जागो, …. देंवता कस मान पावथे, खादी म हुंर्रा-गिधवा सुवारथ के सरकार ए, चोर-लुटेरा मितवा जोगनी लुटइया…
Read Moreछंद – अजब-गजब
अजब संसार होगे, चोर भरमार होगे चोरहा के भोरहा म चंउकीदार उपर सक होथे सच बेजबान होगे, झूठ बलवान होगे बईमान बिल्लागे ते, ईमानदार उपर सक होथे मुख बोले राम – राम, पीठ पीछु छुरा थाम बेवफा बिल्लागे ते वफादार उपर सक होथे रखवार देख बाग रोथे, जंगल म काग रोथे वरदी म दाग देख, थानादार उपर सक होथे दूभर ले दू असाड़, जिनगी लगे पहाड़ नैनन सावन-भादो, एला खार-खेती कहिथे पानीदार गुनाह करे, कानून पनिया भरे जनता जयकार करे, एला अंधेरगरदी कहिथे ढेकना कस चूसथे, मुसवा कस ठूंसथे बोहाथे…
Read Moreकविता – सुकवा कहे चंदा ले
सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे चोला चिटियाएहे, मन चंगा नइ दिखे खुमरी नंदागे कहॉं, खुरपा नइ दिखे खार सिरागे कहॉं, करपा नइ दिखे बिलासपुर म जइसे अरपा नइ दिखे सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे खांसर नंदागे, दमांद आवै दुलरू बईला के गर म बाजे झूल घुंघरू नंदिया तीर बंसी बाजे उही बेरा म राग बखरी ह छेड़े कुऑं – टेड़ा म मुटियारी खोपा म वो दावना नइ दिखे सुकवा कहे चंदा ले गांव-गंगा नइ दिखे कोठार नंदागे, कोठा नइए लछमी अगोरत राहे दूध, दही, कोरनी नांगर…
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