Mahendra Dewangan Mati

बुरा ना मानो होली है

होली हे भई होली हे, बुरा न मानों होली हे। होली के नाम सुनते साठ मन में एक उमंग अऊ… Read More

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बसंती हवा

लाल लाल फूले हे, परसा के फूल। बांधे हे पेड़ मा, झूलना ला झूल। पिंयर पिंयर दिखत हे, सरसों के… Read More

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लघुकथा : कन्या भोज

आज रमेश घर बरा, सोंहारी, खीर, पुरी आनी बानी के जिनीस बनत राहय। ओकर सुगंध ह महर महर घर भर… Read More

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महेन्द्र देवांगन माटी के कविता : बसंत बहार

सुघ्घर ममहावत हे आमा के मऊर, जेमे बोले कोयलिया कुहुर कुहुर। गावत हे कोयली अऊ नाचत हे मोर, सुघ्घर बगीचा… Read More

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मांघी पुन्नी के मेला

जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला । कोनो जावत जोड़ी जांवर, कोनो जावत अकेला । कोनो जावत मोटर… Read More

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तिल लाड़ू खाबोन – मकर संक्रांति मनाबोन

मकर संकराति हिन्दू धरम के एक परमुख तिहार हरे। ए परब ल पूरा भारत भर में एक साथ मनाये जाथे। पूस… Read More

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भुर्री तापत हे

बाढहे हाबे जाड़ ह, सब झन भुररी तापत हे। कतको ओढ ले साल सेटर, तभो ले हाथ कांपत हे। सरसर… Read More

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छेरछेरा के तिहार – लइका मन पारत गोहार

हमर भारत देश में पूजा पाठ अऊ दान के बहुत महत्व हे। दान करे बर जाति अऊ धरम नइ लागय।… Read More

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नवा साल मुबारक हो

बड़े मन ल नमस्कार, अऊ जहुंरिया से हाथ मिलावत हों। मोर डाहन ले संगी, नवा साल मुबारक हो। पढहैया के… Read More

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नारी हे जग में महान

नारी हे जग में महान संगी, नारी हे जग में महान। मय कतका करंव बखान संगी, नारी हे जग में… Read More

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