चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो। अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो।। कतको भटकत अंधियारी मे, वोला रसता देखाबो। भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो।। मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों। चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो।। छोड़ो रंग बिरंगी झालर, माटी के दीया जलाबों। भूख मरे मत कोनो भाई, सबला रोजगार देवाबो।। लड़ई झगरा छोड़के संगी, मिलबांट के खाबो। चल संगी देवारी मे, जुर मिल दीया जवाबो।। घर दुवार ल लीप बहार के, गली खोर ल बहारबो। नइ होवन देन बीमारी,…
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धान – पान
हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे । सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सबझन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे , ‘माटी’ गाना गावत हे । धान ल अब लुए खातिर , हंसीया धरके जावत हे । देव सोनू अशोक सुनील , ठाड़ ददरिया गावत हे । करपा ल अब बांध बांध के , बियारा कोठार में लावत हे । महेन्द्र देवांगन “माटी” गोपीबंद…
Read Moreबेटी : रोला छन्द
बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी। करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी। कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ। मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ। अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय, बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय। बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू। करथे रौशन नाम, सबो मा हावय आघू। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा) छत्तीसगढ़ #रोला_छन्द
Read Moreअक्षर दीया जलाबोन
अक्षर दीया जलाबोन संगी, निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन । ज्ञान के मशाल ल धरके , गाँव गली तक जाबोन । सबझन पढ़बोन अउ पढ़ाबोन , सब कोई होही साक्षर । नइ राहे तब ये जग मा , भंइस बराबर काला अक्षर । नोनी पढ़ही बाबू पढही , पढ़ही बबलू के दाई । डोकरा पढ़ही डोकरी पढ़ही , अउ पढ़ही मनटोरा दाई । आ गे हावे भादो महीना , गणेश देखे ला जाबोन । गणेश जी हा खुश होही , जब ज्ञान के दीया जलाबोन । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा)…
Read Moreदाई के पीरा
बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम बूता ला करय नहीं, करथे सास के चारी । घिलर घिलर के दाई करथे, सबो बूता काम । का दुख ला बतावँव सँगी , माटी हे बदनाम । महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com
Read Moreराखी के तिहार
सावन के पावन महीना में, आइस राखी तिहार । राखी के बंधन में हावय , भाई बहन के प्यार । सजे हावय दुकान में, आनी बानी के राखी । कोन ला लेवँव कोन ला छोंड़व , नाचत हावय आँखी । छांट छांट के बहिनी मन , राखी ला लेवत हे । किसम किसम के मिठाई ले के , पइसा ला देवत हे । भैया के कलाई में, राखी ला बांधत हे । रक्षा करे के वचन, भाई से मांगत हे । भाई बहिन के पवित्र प्रेम, सबले हावय प्यारा ।…
Read Moreशिव भोला ल मनाबोन
चल संगी भोला ल मनाबोन , बेलपान अऊ नरियर भेला ल चढाबोन । चल संगी भोला ल मनाबोन । नदियाँ नहाबोन अऊ दीया जलाबोन । धोवा धोवा चाँउर शिव भोला मा चढाबोन । हावय अब्बड़ भीड़ भाड़, हमू लाइन लगाबोन । चल संगी भोला ल मनाबोन …………….. भोले बाबा के जी , महिमा हे भारी । पूजा करत हे , सबो नर नारी । होवत हे आरती, हमू घंटी बजाबोन । चल संगी भोला ल मनाबोन ……………… औघड़ दानी हावय , अब्बड़ शिव भोला । जे मांगबे तेला , दे…
Read Moreसावन में शिव ला मनाबोन
सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे। एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे। सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे। ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे। सावन मास में शिव के पूजा करे से 16 सोमवार व्रत के समान फल मिलथे। भगवान शंकर के विधि विधान से पूजा करे से घर में सब प्रकार के सुख शांति अऊ लक्ष्मी के प्राप्ति होथे। सावन के महिना ह भगवान शंकर…
Read Moreबरसा के दिन
टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे। घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे। तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे। आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे। बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे। हावा गररा चलत हाबे, धुररा ह उड़ावत हे। बड़े बड़े डारा खांधा , टूट के फेंकावत हे । घुड़ुर घाड़र बादर तको, मांदर कस बजावत हे। घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे। ठुड़गा ठुड़गा रुख राई के, पाना…
Read Moreनशा : कविता
नशा – नाश के जड़ होथे एला तेहा जान। पइसा – इज्जत दूनो होथे जगा – जगा अपमान।। जेहा पीथे रोज दारू दरूहा ओहा कहाथे। लोग लइका के चेत नइ करे अब्बड़ गारी खाथे।। थारी, लोटा, गहना, सुता सबो बेचा जाथे। भूखन मरथे सबो परानी तब होश में आथे।। छोड़ दे अब तो दारू – गांजा जीवन अपन सुधार। भक्ति भाव में मन लगाले कर जीवन उद्धार।। महेन्द्र देवांगन माटी पंडरिया (कवर्धा ) छत्तीसगढ़ 8602407353 mahendradewanganmati@gmail.com
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