बरस जा बादर बरस जा बादर, गिर जा पानी, देखत हावन। तरसत हावन, तोर दरस बर, कहाँ जावन। आथे बादर, लालच देके, तुरंत भगाथे। गिरही पानी, अब तो कहिके, आश जगाथे। सुक्खा हावय, खेत खार हा, कइसे बोवन। बइठे हावन, तोर अगोरा, सबझन रोवन। झमाझम अब, गिर जा पानी, हाथ जोरत हन। सबो किसान के, […]
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काँदा कस उसनात हे
कभू घाम कभू पानी, भुँइया हा दंदियात हे । जेठ के महिना में आदमी, काँदा कस उसनात हे। दिनमान घाम के मारे , मुँहू कान ललियावत हे । पटकू बाँध के रेंगत हे , देंहे हा पसिनयावत हे। माटी के घर ला उजार के, लेंटर ला बनात हे । जेठ के महिना में आदमी, काँदा […]
पढ़ना लिखना छोड़ के, खेलत हे दिन रात । मोबाइल ला खोल के, करथे दिन भर बात ।। आजकाल के लोग मन , खोलय रहिथे नेट । एके झन मुसकात हे , करत हवय जी चेट ।। छेदावत हे कान ला , बाला ला लटकात । मटकत हावय खोर मा , नाक अपन कटवात ।। […]
ढोंगी बाबा
गाँव शहर मा घूमत हावय , कतको बाबा जोगी । कइसे जानबे तँहीं बता, कोन सहीं कोन ढोंगी ? बड़े बड़े गोटारन माला, घेंच मा पहिने रहिथे । मोर से बढ़के कोनों नइहे, अपन आप ला कहिथे । फँस जाथे ओकर जाल मा , गाँव के कतको रोगी । कइसे जानबे तँही बता, कोन सही […]
आमा के चटनी
आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे, दू कंऊरा भात ह जादा खवाथे । कांचा कांचा आमा ल लोढहा म कुचरथे, लसुन धनिया डार के मिरचा ल बुरकथे। चटनी ल देख के लार ह चुचवाथे, आमा के चटनी ह अब्बड़ मिठाथे । बोरे बासी संग में चाट चाट के खाथे, बासी ल खा के हिरदय ह […]
अकती के तिहार
छत्तीसगढ़ में अकती या अक्छय तृतीया तिहार के बहुत महत्व हे । ये दिन ल बहुत ही सुभ दिन माने गेहे। ये दिन कोई भी काम करबे ओकर बहुत ही लाभ या पून्य मिलथे। अइसे वेद पुरान में बताय गेहे। कब मनाथे – अकती के तिहार ल बैसाख महीना के अंजोरी पाख के तीसरा दिन […]
लेख : बंटवारा
बुधारु अऊ समारु दूनों भाई के प्रेम ह गांव भर में जग जाहिर राहे ।दूनों कोई एके संघरा खेत जाय अऊ मन भर कमा के एके संघरा घर आय । कहुंचो भी जाना राहे दूनों के दोस्ती नइ छूटत रिहिसे ।ओकर मन के परेम ल देख के गाँव वाला मन भी खुस राहे अऊ बोले […]
वाह रे कलिन्दर
वाह रे कलिन्दर, लाल लाल दिखथे अंदर। बखरी मा फरे रहिथे, खाथे अब्बड़ बंदर। गरमी के दिन में, सबला बने सुहाथे। नानचुक खाबे ताहन, खानेच खान भाथे। बड़े बड़े कलिन्दर हा, बेचाये बर आथे। छोटे बड़े सबो मनखे, बिसा के ले जाथे। लोग लइका सबो कोई, अब्बड़ मजा पाथे। रसा रहिथे भारी जी, मुँहू कान […]
तिंवरा भाजी
तिंवरा भाजी दार संग , अब्बड़ मिठाथे । दू कंऊरा भात ह संगी, जादा खवाथे । उल्हा उल्हा भाजी ह, बड़ गुरतुर लागथे । मिरचा लसून संग , जब फोरन में डारथे । नान नान लइका मन , चोराय बर जाथे । झोला झोला धरथे अऊ, मुँहू भर खाथे । ओली ओली टोर के, भौजी […]
दोहा : गरमी अऊ पानी
गरमी आवत देख के, तोता बोले बात। पाना नइहे पेड़ मा, कइसे कटही रात।। झरगे हावय फूल फर, कइसे भरबो पेट। भूख मरत लइका सबो, जुच्छा हावय प्लेट।। नदियाँ नरवा सूख गे, तरिया घलव अटाय। सुक्खा होगे बोर हा, कइसे प्यास बुझाय।। पानी खातिर होत हे, लड़ई झगरा रोज। मार काट होवत हवय, थाना जावत […]