आगे बसंत संगी,आमा मऊरावत हे बाजत हे नंगाड़ा अब,होली ह आवत हे । कुहू कुहू कोयली ह,बगीचा में कुहकत हे। फूले हे सुघ्घर फूल, भंवरा रस चुहकत हे। आनी बानी के फूल मन,अब्बड़ ममहावत हे। बाजत हे नंगाड़ा अब,होली ह आवत हे। लइका मन जुर मिल के, छेना लकड़ी लावत हे। अंडा के डांग ल,होली […]
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