पारंपरिक गीत देवारी आगे

देवारी आगे रे भइया, देवारी आगे ना।। घर घर दिया बरय मोर संगी, आंधियारी भगागे ना। देवारी आगे रे भइया —–।। कातिक अमावस के दिन भइया, देवारी ल मनाथे । सुमता के संदेश ले के, बारा महीना मा आथे।। गाँव शहर के गली खोर ह, जगमगागे न ।। देवारी आगे रे भइया —–।। घर दुवार ला लीप पोत के, आनी बानी के सजाथे गौरी गौरा के बिहाव करथें, सुवा ददरिया गाथे फुटथे फटाका दम दमादम, खुशी समागे ना।। देवारी आगे रे भइया —–।। ये धरती के कोरा मा, अन्नपूरना लहलहाथे।…

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छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया

छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया, गुरतुर बोली मीठ भाखा हे । कोन करिया कोन गोरिया, छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया । गाँव गवई के हमन रहइया, माटी के हावय घर अऊ कुरिया । बर पीपर हे तरिया नदिया, बाग बगीचा घन अमरइया । मन निरमल हे गंगा जइसे, सब ला मया करइया । धोती कुरता पटकू पहिरइया, चटनी बासी पेज खवइया । खुमरी ओढे चले नगरिहा, खेत खार म काम करइया । सोनहा जइसे अन्न उपजइया, सबके भूख मिटइया । तीजा पोरा देवारी मनइया, सुख दुख के संग देवइया । सुवा पंथी करमा ददरिया,…

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किसान

रदरद रदरद गिरगे पानी, चूहे परवा छानी । ठलहा काबर बइठे भइया, आगे खेती किसानी । ये गा किसान, कर ले धियान चलव खेत चलव गा । नांगर जुवाड़ी ल जोर के भइया, धर ले बिजहा धान । अदरा अदरा बइला हावय, होथे हलाकान । अब होगे बिहान , जल्दी उठव किसान चलव खेत चलव गा । झउहा रापा कुदारी धर के, चलव दीदी लइका सियान । खातू गोबर ला खेत मा डारव,खनव दूबी कांद ।। बांधव मेड़ बंधान, करव मेहनत जी जान चलव खेत चलव गा।। राहेर कोदो कुटकी…

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