Mangat Ravindra

हरमुनिया – मंगत रविन्‍द्र के कहिनी

रमाएन तो कतको झन गाथें पर जेठू के रमाएन गवई हर सब ले आन रकम के होथे। फाफी राग.... रकम-रकम… Read More

15 years ago

हरमुनिया – मंगत रविन्‍द्र के कहिनी

रमाएन तो कतको झन गाथें पर जेठू के रमाएन गवई हर सब ले आन रकम के होथे। फाफी राग.... रकम-रकम… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘सोनहा दीया’

चारों मुड़ा लेन्टर के घर...पिछोत म नीलगिरी के ऊँचपुर रूख, दिनरात फुरहुर बइहर परोसत रहै। अंगना कती के कंगुरा म… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘सोनहा दीया’

चारों मुड़ा लेन्टर के घर...पिछोत म नीलगिरी के ऊँचपुर रूख, दिनरात फुरहुर बइहर परोसत रहै। अंगना कती के कंगुरा म… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘दुनो फारी घुनहा’

।। जीवन के सफर में जरूरत होती है एक साथी की।।।।जैसे जलने के लिये दीप को जरूरत होती है एक… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘दुनो फारी घुनहा’

।। जीवन के सफर में जरूरत होती है एक साथी की।।।।जैसे जलने के लिये दीप को जरूरत होती है एक… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘अगोरा’

बोर्रा..... अपन पुरता पोट्ठ हे। कई बच्छर के जून्ना खावत हे। थुहा अउ पपरेल के बारी भीतर चर-चर ठन बिही… Read More

15 years ago

मंगत रविन्‍द्र के कहिनी ‘अगोरा’

बोर्रा..... अपन पुरता पोट्ठ हे। कई बच्छर के जून्ना खावत हे। थुहा अउ पपरेल के बारी भीतर चर-चर ठन बिही… Read More

15 years ago

छत्तीसगढ़ी कहिनी किताब : गुलाब लच्‍छी

संगी हम आपके खातिर ‘गुरतुर गोठ’ म छत्तीसगढ के ख्यात साहित्यकार, कहानीकार श्री मंगत रविन्द्र जी के अवईया दिनन म… Read More

15 years ago

छत्तीसगढ़ी कहिनी किताब : गुलाब लच्‍छी

संगी हम आपके खातिर ‘गुरतुर गोठ’ म छत्तीसगढ के ख्यात साहित्यकार, कहानीकार श्री मंगत रविन्द्र जी के अवईया दिनन म… Read More

15 years ago