पोरा के बिहान दिन-तिजा

तिजा लेय बर आहुं नोनी, मैं हा पोरा के बिहान दिन।। मइके के सुरता आवत होही, होगे तोला गजब दिन। महतारी के मया अलगे होथे, सुरता तोला आवत होही।। मन बैरी हा मानय नही, आंसु हा नी थमावत हाई। पारा परोस मा खेलस तेहा, छुटपन के सुरता आवत होही।। फुगड़ी अउ छुवउला खेलस, संगवारी मन के सुरता आवत होही। ककी भौजाई के नत्ता मन हा नोनी कहि बुलावत रिहिन।। खोर गली हा सुन्ना होगे दाई बहिनी सब रोहत रिहिन। हांसत हांसत तेहा आबे नोनी, रोवत-रोवत झन जाबे ओ।। तोर बिन…

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