गीत

माडी भ्‍ार चिखला मा तन ला गडाए, कारी मोटियारी टुरी रोपा लगात हे ।। असाढ के बरसा मा तन ला भिजोए, अवइया सावन के सपना सजात हे ।। धान के थ्‍ारहा ला धर के मुठा मा, आज अपन भाग ला सिरतोन सिरजात हे ।। भूख अउ पियास हा तन ला भुला गेहे, जागर के टुटत गउकिन कमात हे ।। मेहनत के देवता ला आज मनाए बर, माथ के पसिना ला एडी मा चुचवात हे ।। सावर देह मा चिखला अउ माटी के, सिंगार हर मोर संगी कइसन सुहात हे ।।…

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कविता

देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे । ।। रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे ।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे ।। बरा अउ सोहारी बेटा बहु रोज खाथे , सियानिन के भाग मा बोरे बासी आ जाथे ।। पढ लिख के बेटा हा हो गेहे सहरिया , हाल पुछ बर कभू कभू चपरासी आ जाथे ।। मथुरा प्रसाद वर्मा ‘ प्रसाद’ सडक पारा कोलिहा बलौदाबजार छ ग मो. 8889710210

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दू कबिता ‘प्रसाद’ के

-१- देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे, रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे।। आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा, मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे।।

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