बिलासा कला मंच कतीले सन् दू हजार एक म छपे, डॉ पालेश्वरशर्मा के लिखे छत्तीसगढ़ी शब्दकोश के भूमिका म छत्तीसगढ़ी… Read More
चुनई के हांका परगे भईया बेरा हे तय्यारी के। अटक मटक के नाचै बेंदरा देखौ खेल मदारी के ।। गॉंव… Read More
धर ले रे कुदारी गा किसानआज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे ।ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च बर… Read More
किरन - किरन के चरन पखारनआरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान,बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां ।मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात… Read More
महर-महर महकत हे, भारत के बाग ।भुँइया महतारी के अमर हे सुहाग ।।ममहाती पुरवहिया, झूमय लहरावयडारा-डारा, पाना-पाना, मगन सरसरावयपंड़की-परेवना मन,… Read More
जिनगी के रद्दा अड़बड़ लम्भा दू ठिन हमरे चरनगोड़ ला कहाँ-कहाँ हमन धरनचले पुरवहिया सनन सनन् ।बिजहा रे डारेन नाँगर… Read More
ठगुवा कस पानी ह ठगत हे, मूड़ धरे बइठे किसानये बिधाता गा मोर कइसे ब चाबो परान ।एक बछर नाँगर… Read More
तैं ह आ जाबे मैनाउड़त उड़त तैंह आ जाबे । मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना,बिन पाँरवी मोर सुवना… Read More
धर ले रे कुदारी गा किसानआज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे । ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च… Read More