एक समे के बात ए। सब पंछी मन सकला के तय करीस के आज ले हमर चौकीदार घुघवा रइही। जगवारी अऊ रखवारी के बूता ल घुघवा के सिवा अऊ कोनो दूसर पंछी मन नई कर सकयं। रात के घुघवा ह सबला देख सकत हे। मुखिया पंछी के निरनय ल सब मान लेथें। घुघवा के चौकीदार बने ले चिरई-चिरगुन मन खुसी मनाइन। रात के बेफिकरी होके राहयं। सोच-गुन म परगे ओमन जऊन इंखर सिकार करय। इंखर अंडा-पिलवा ल खाय। घुघवा के चौकस रखवारी ले ऊंखर सिट्टी-पिट्टी गुम होगे। बड़ मुसकिल होगे…
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