हाट्स एप ग्रुप साहित्यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म हमर पुरखा साहित्यकार मन के रचना प्रस्तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्तुत करत हन – सवैया साँप के कुंडल कंकण साँप के, साँप जनेऊ रहे लिपटाई। साँप के हार है साँप लपेटे, है साँप के पाग जटा शिर छाई ।। नरसिंह दास देखो सखि रे, बर बाउर है बैला चढ़ि आई । कोऊ सखी कहै हे छी: , कुछ ढंग नहीं हावे छी:…
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