जब समाज मं शांति हा बसथय शांति पात जिनगानी। दुख शत्रुता अभाव भगाथय उन्नति पावत प्रानी।। मारपीट झगरा दंगा ले होवत कहां भलाई। मंय बिनवत हंव शांति ला जेहर बांटत प्रेम मलाई।। लगे पेड़ भर मं नव पाना, दसमत फूल फुले बम लाल लगथय – अब नूतन युग आहय, क्रांति ज्वाल को सकत सम्हाल! अब परिवर्तन निश्चय होहय, आत व्यवस्था मं बदलाव पर मंय साफ बात बोलत हंव – नइ दुहरांव पूर्व सिद्धान्त. याने महाकाव्य मं मंय हा, होन देंव नइ हत्या खून जीवन जीयत बड़ मुश्किल मं, तब बढ़…
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गरीबा : महाकाव्य (नउवां पांत : गंहुवारी पांत) – नूतन प्रसाद शर्मा
शोषण अत्याचार हा करथय हाहाकार तबाही। तब समाज ला सुख बांटे बर बजथय क्रांति के बाजा।। करंव प्रार्थना क्रांति के जेहर देथय जग ला रस्ता । रजगज के टंटा हा टूटत आथय नवा जमाना ।। गांव के सच वर्णन नइ होइस, फइले हे सब कोती भ्रांति जब सच कथा प्रकाश मं आहय, तभे सफलता पाहय क्रांति. लेखक मन हा नगर मं किंजरत, रहिथंय सदा गांव ले दूर संस्कृति कला रीति जनजीवन – इंकर तथ्य जाने बस कान. तब तो लबरइ बात ला लिखदिन, उंकर झूठ ला भुगतत आज रुढ़ि बात…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (अठवइया पांत : अरसी पांत)
जग मं जतका मनसे प्राणी सब ला चहिये खाना । अन्न हवय तब जीयत जीवन बिना अन्न सब सूना ।। माता अन्न अमर तयं रहि नित पोषण कर सब जन के। तयं रहि सदा प्रसन्न हमर पर मंय बिनवत हंव तोला।। बिरता हरा हाल के झुमरय, बजय बांसरी मधुर अवाज गाय गरूकूदत मेंद्दरावंय, शुद्ध हवा राखय तन ठोस. माटी के घर तउन मं खपरा, पबरित राखंय गोबर लीप लइका मन चिखला मं खेलंय, हंसी तउन छल कपटले दूर. मगर पूर्व के समय बदल गे, अब औद्योगिक युग के राज बड़े…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (सतवया पांत : चनवारी पांत)
गांव शहर तुम एका रहिहव राष्ट्र के ताकत दूना । ओकर ऊपर आंच आय नइ शत्रु नाक मं चूना ।। गांव शहर तुम शत्रु बनव झन रखत तुम्हर ले आसा । करत वंदना देश के मंय हा करत जिहां पर बासा ।। ऊगे ठाड़ ‘गाय धरसा’ हा.पंगपंगाय पर कुछ अंधियार खटियां ला तज दीस गरीबा, पहुंच गीस मेहरू के द्वार. मेहरु सोय नाक घटकत हे, तेला उठा दीस हेचकार बोलिस-“तंय अइसे सोवत हस- बेच देस घोड़ा दस बीस. लगथय- तोर मुड़ी पर चिंता, याने रिहिस बड़े जक बोझ लेकिन ओहर…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (पंचवईया पांत : बंगाला पांत)
पाठक – आलोचक ले मंय हा नमन करत मृदुबानी । छिंहीबिंही खंड़री निछथंय पर सच मं पीयत मानी ।। एमन बुढ़ना ला झर्रा के नाक ला करथंय नक्टा । तभो ले लेखक नाम कमाथय – नाम हा चढ़थय ऊंचा ।। मेहरुकविता लिखत बिधुन मन, ततकी मं मुजरिम मन अैन तब बिसना कथय – “”तंय कवि अस, कविता लिखथस जन के लाभ. झूठ बात ला सच बनवाये, करथस घटना के निर्माण पर अब सच ला साबित कर, निज प्रतिभा के ध्वज कर ठाड़. घटना – पात्र काल्पनिक खोजत, एमां बुद्धि समय…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (छठवया पांत : तिली पांत)
६. तिल्ली पांत वंदना अपन तरी मं रखत अंधेरा – दूसर जगह उजाला । अपन बिपत ला लुका के रखथय – पर के हरथय पीरा ।। खुद बर – पर के दुख ला काटत उही आय उपकारी । पांव परंव मंय दिया के जेकर बिन नइ होय देवारी ।। काव्य प्रारंभ “मंगलिन कपड़ा मिल’ एक ठक हे, ओकर स्वामिन मंगलिन आय ओकर गरब अमात कहूं नइ, काबर के धन धरे अकूत. कपड़ा मिल के कुछ आगुच मं, सकला खड़े हवंय मजदूर खलकटभाना बुल्खू द्वासू, झनक बैन अउ कई मजदूर. उंकर…
Read Moreगरीबा महाकाव्य (चौंथा पांत : लाखड़ी पांत)
धरती माता सबके माता-सब ले बढ़ के गाथा । मोर कुजानिक ला माफी कर मंय टेकत हंव माथा।। अन्न खनिज अउ वृक्ष हा उपजत तोर गर्भ ले माता । सब प्राणी उपयोग करत तब बचा सकत जिनगानी ।। “”कहां लुका-भागे डोकरा? तोला खोजत हन सब कोती सुन्तापुर के सब छोकरा । कहां लुका भागे छोकरा…? चुंदी पाक गे सन के माफिक अंदर घुसगे आंखी बिना दांत के बोकरा डाढ़ी पक्ती – पक्ती छाती. झड़कत रथस तभो ठोसरा…।। हाथ गोड़ के मांस हा झूलत कनिहा नव गे टेड़गा कउनो डहर जाय…
Read Moreगरीबा : महाकाव्य – तीसर पांत : कोदो पांत
छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद आवरण – कृष्णा श्रीवास्तव गुरुजी डिजाइन एवं टाईपसैट – जैन कम्प्यूटर सर्विसेज, राजनांदगांव प्रकाशक सुरेश सर्वेद मोतीपुर, राजनांदगांव वर्तमान पता सुरेश सर्वेद सांई मंदिर के पीछे, तुलसीपुर वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मोबाईल – 94241 11060 गरीबा महाकाव्य (तीसर पांत : कोदो पांत)
Read Moreगरीबा : महाकाव्य – दूसर पात : धनहा पांत
छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद आवरण – कृष्णा श्रीवास्तव गुरुजी डिजाइन एवं टाईपसैट – जैन कम्प्यूटर सर्विसेज, राजनांदगांव प्रकाशक सुरेश सर्वेद मोतीपुर, राजनांदगांव वर्तमान पता सुरेश सर्वेद सांई मंदिर के पीछे, तुलसीपुर वार्ड नं. – 16, तुलसीपुर राजनांदगांव छत्तीसगढ़ मोबाईल – 94241 11060 मंय छत्त्तीसगढ़ी म गरीबा महाकाव्य काबर लिखेवं ? आज आप ल जउन कहिना हे, एक वाक्य म कहो। समे “गागर म सागर” भरे के हे। आप बड़े ले बड़े बात ल नानकून…
Read Moreगरीबा : महाकाव्य (पहिली पांत : चरोटा पांत)
साथियों, भंडारपुर निवासी श्री नूतन प्रसाद शर्मा द्वारा लिखित व प्रकाशित छत्तीसगढ़ी महाकाव्य “ गरीबा” का प्रथम पांत “चरोटा पांत” गुरतुर गोठ के सुधी पाठकों के लिए प्रस्तुत कर रहा हूं। इसके बाद अन्य पांतों को यहॉं क्रमश: प्रस्तुत करूंगा। यह महाकाव्य दस पांतों में विभक्त हैं। जो “चरोटा पांत” से लेकर “राहेर पांत” तक है। यह महाकाव्य कुल 463 पृष्ट का है। आरंभ से लेकर अंत तक “गरीबा महाकाव्य” की लेखन शैली काव्यात्मक है मगर “गरीबा महाकाव्य” के पठन के साथ दृश्य नजर के समक्ष उपस्थित हो जाता है।…
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