जब समाज मं शांति हा बसथय शांति पात जिनगानी। दुख शत्रुता अभाव भगाथय उन्नति पावत प्रानी।। मारपीट झगरा दंगा ले… Read More
शोषण अत्याचार हा करथय हाहाकार तबाही। तब समाज ला सुख बांटे बर बजथय क्रांति के बाजा।। करंव प्रार्थना क्रांति के… Read More
जग मं जतका मनसे प्राणी सब ला चहिये खाना । अन्न हवय तब जीयत जीवन बिना अन्न सब सूना ।।… Read More
गांव शहर तुम एका रहिहव राष्ट्र के ताकत दूना । ओकर ऊपर आंच आय नइ शत्रु नाक मं चूना ।।… Read More
पाठक - आलोचक ले मंय हा नमन करत मृदुबानी । छिंहीबिंही खंड़री निछथंय पर सच मं पीयत मानी ।। एमन… Read More
६. तिल्ली पांत वंदना अपन तरी मं रखत अंधेरा - दूसर जगह उजाला । अपन बिपत ला लुका के रखथय… Read More
धरती माता सबके माता-सब ले बढ़ के गाथा । मोर कुजानिक ला माफी कर मंय टेकत हंव माथा।। अन्न खनिज… Read More
छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता – नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण – 1996 मूल्य – पांच सौ रुपये स्वत्व – सुरेश सर्वेद… Read More
छत्तीसगढ़ी गरीबा महाकाव्य रचइता - नूतन प्रसाद प्रथम संस्करण - 1996 मूल्य - पांच सौ रुपये स्वत्व - सुरेश सर्वेद… Read More
साथियों, भंडारपुर निवासी श्री नूतन प्रसाद शर्मा द्वारा लिखित व प्रकाशित छत्तीसगढ़ी महाकाव्य “ गरीबा” का प्रथम पांत “चरोटा पांत”… Read More