छत्तीसगढ़ी गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए

छत्तीसगढ़ी कविता क्रांति के सुर ला प्रलय- राग मां बांधही? ये जम्मो हर काल के कोरा मां लुकाय हे हमर छत्तीसगढ़ घात सुग्घर हे, अउ छत्तीसगढ़ी गजब के गुरतुर अऊ नुनछुर भाखा ए, ए मा किसान के पबरित पसीना हे, अऊ आंसू के अमरित हे ए हर मनखे के मन के भाव-भलाई हे। छत्तीसगढ़ी कविता के डोंहड़ी कलचुरि राजा के खार मं बाढ़िस, अऊ हय-हय बंस के बगैचा मं फूलिस फेर जनता के बियारा कोठार म आके पिंउरा गईस। छत्तीसगढ़ी कविता कन्व मुनि के पोंसवा बेटी-धियरी सकुन्तला साहीं आय, जउन…

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घठौंदा के पथरा

सब झन कहिन्थे मैं पथरा के बने हौं-  करेज्जा घलाय पथरा साहीं हवय…..मैं का कहंव ? रानी के कुटकी मालिन कभू तलाव खनाय रहिस, नानचुक आमा के अमरईया, बर पीपर के रुख ले पार मा रसदा रेंगैया बर, असनांद बर आये मनखे बर-घन छईन्हा ! खेत ले लहुटत , कांदी के बोझा मूड मा धरे, खांध मा नांगर, कभू कोपर लेके आवत, छाँव मा सुरतावत जब कमिया, कमेलिन. किसान थिरान्थें, ता मोला थोरकुन बने लागथे. थोरकुन पसीना सुखा के पटकू पहिर के जब कमिया घठौंदा मा बैठ के तलाव के…

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मोर मातृभाषा छत्तीसगढी हे : पालेश्‍वर शर्मा

छत्तीगसगढी मोर मातृभाषा आय । मोला अपन मातृभाषा उपर गर्व हे । मैं ये भाषा ल अपन महतारी के दूध संग पिये अउ पचाय हौं । मोर कान म जउन पहली सब्द परिस वो छत्तीहसगढी भाषा के रहिस । जब ले मोर महतारी जीयत रहिस हे तब ले मैं वोखर मुंह ले येही भाषा ल सुनेंव अउ गुनेंव । ये भाषा ल मोर पुरखा मन सैकडन बरिस ले बोलत आवत रहिन हें । मोला अपन पुरखा मन उपर गर्व हे, काबर के वोहू मन छत्‍तीसगढी भाषा ल गर्व के साथ…

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मोर मातृभाषा छत्तीसगढी हे : पालेश्‍वर शर्मा

छत्तीगसगढी मोर मातृभाषा आय । मोला अपन मातृभाषा उपर गर्व हे । मैं ये भाषा ल अपन महतारी के दूध संग पिये अउ पचाय हौं । मोर कान म जउन पहली सब्द परिस वो छत्तीहसगढी भाषा के रहिस । जब ले मोर महतारी जीयत रहिस हे तब ले मैं वोखर मुंह ले येही भाषा ल सुनेंव अउ गुनेंव । ये भाषा ल मोर पुरखा मन सैकडन बरिस ले बोलत आवत रहिन हें । मोला अपन पुरखा मन उपर गर्व हे, काबर के वोहू मन छत्‍तीसगढी भाषा ल गर्व के साथ…

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