मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे संगी कोनो खोज के लाववं भाखा बोली सबो बदलगे मया कहां के मैंय पाववं कहानी किस्सा सबो नंदागे पीपर पेड़ कटागे नई सकलाय कोनो चाउंरा म कोयली घलोक उड़ागे सुन्ना परगे लीम चाउंरा म रात दिन खेलत जुंआ दारु महुरा पीके संगी करत हे हुंआ हुंआ मोर अंतस के दुख पीरा ल कोनो ल मैंय बतावं मोर छत्तीसगढ़ कहां गंवागे संगी कोनो खोज के लाववं जंवारा भोजली महापरसाद के रिसता ह नंदागे सुवारथ के संगवारी बनगे मन म कपट समागे राम-राम बोले बर छोड़ दिस हाय्…
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- Pancham Singh Netam