तोर धरती तोर माटी रे भइय्या तोर माटी ॥ लड़ई झगरा के काहे काम जे झन बेटा ते ठन नाम हिन्दू भाई ला करंव जय राम मुस्लिम भाई ला करंव सलाम छरती बर तो सबो बरोबर, का हांथी का चांटी रे भइय्या ॥ फूले तरोई के सुंदर फुंदरा जिनगी बचाये रे टुटहा कुंदरा हमन अपन घर मां जी संगी देखव तो कइसे होगेन बसुंदरा बडे बिहिनिया ले बेनी गंथा के, धरती हा पारे हे पाटी रे भइय्या ॥ खावव जी संगवारी धान के किरिया चंदन कस चांउर पिसान के किरिया…
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खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ : पवन दीवान के गीत
लइका मन धुर्रा मं सने सने घर आगे, चिरई चुरगुन अमली के डारा मं सकलागे तरिया के पार जइसे झमके रे झांझ। खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। थके हारे मेड पार कांसी उंघाये रे चौरा मं राऊत टूरा बंसरी बजाये रे संगी रे पैरा ल कोठ मं गाँज खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। दिन भर के भूख प्यास खाले पेट भरहा सोझियाले हाथ गोड लागे अलकरहा नोनी बटकुलिया ल झट कुन मांज खेत खार बखरी मं गहिरागे साँझ। पवन दीवान
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