कलजुगिया झपागे

देखव देखव संगी,कईसन जमाना आगे। अंते-तंते होवत हावय,कलजुगिया झपागे।। भेद-भाव के गिरहा धर लेहे, फुट होथे घर-घर। बालि शुगरी होगे भाई-भाई, देखत धरथे जर। भुइंया बर होवाथे लड़ाई,महाभारत ह समागे, अंते-तंते होवत… नवा-नवा खाना होगेहे, होवाथे नवा बिमारी। गली-गली,चौरा-चौरा म, होवथे चुगली चारी। गीता अऊ पुरान मन ह कते डाहर लुकागे, अंते-तंते होवत… मनखे तन ल काला कहिबे,संसकार भुलावत हे। छोटे-बड़े कोनो ह संगी ,सममान कहा पावत हे। हिंदू धरम नंदावत,आनी-बानी धरम अब आगे, अंते-तंते होवत… पवन नेताम “श्रीबासु” सिल्हाटी,स./लोहारा,कबीरधाम, संपर्क-9098766347

Read More