हमर देस राज म शिक्षक के महत्तम

कोनो भी देस के बिकास ह सिछक के हाथ म होथे काबर के वो ह रास्ट्र के निरमान करता होथे। वो ह देस के भबिस्य कहे जाने वाला लईकरन मन ल अपन हर गियान ल दे के पढ़ईया लईकरन मन ल ये काबिल बनाये के कोसिस करथे के वो ह देस के बिकास के खातिर कोनो भी छेत्र म सहयोगी बन सकय। हर मनखे के जीनगी म गुरू के बिसेस हमत्तम हावय। हमर देस राज म गुरू अउ सिस्य के परंपरा सनातन काल ले चले आवत हे। हर देस म…

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आठे कन्हैया

हमर भारत देस ह देवता मन के भुइंया हे येखर कोना-कोना पुण्य भुंईया हेे। इहां पिरीथिवी लोक म जब-जब धरम के हानी होवत गईस तब-तब भगवान ह ये लोक म अवतार लिहीस। भगवान सिरी किसन जी ह अरजुन ल कुरूक्षेत्र म भागवत गीता के अध्याय 4 के स्लोक 7 अउ 8 म उपदेस देवत कईथे के- यदा-यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। 4-7।। परित्राणाय साधूनामं विनाशाय च दुष्कृताम। धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे।। 4-8।। येखर मायने ये हावय के भगवान किसन कईथे के जब-जब भारत म धरत के हानि हो…

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अटल बिहारी वाजपेयी ‘‘राजनीतिज्ञ नई बलकि एक महान व्यक्तित्व रहिन’’

अटल बिहारी वाजपेयी के जनम 25 दिसम्बर बछर 1924 को ग्वालियर म एक सामान्य परिवार म होय रहिस। उंकर पिता जी के नाव कृष्ण बिहारी मिश्र रहिस। जे ह उत्तर परदेस म आगरा जनपद के प्राचीन असथान बटेश्वर के मूल निवासी रहिस। अउ मध्यपरसेद रियासत ग्वालियर म गुरूजी अउ एक कवि रहिस अउ उकर मॉं के नाम कृष्णा देवी रहिस। तीन बहिनी अउ भाई म सबसे छोटे अटल बिहारी ल उंखर दादी प्यार ले अटल्ला कई के बुलावत रहिस। काबर के अटल के पिता शिछक अउ कवि रहिस ये कारन…

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भोजली तिहार : किसानी के निसानी

हमर छत्तीसगढ़ देस-राज म लोक संसकिरीति, लोक परब अऊ लोक गीत ह हमर जीनगी म रचे बसे हाबय। इहां हर परब के महत्तम हे। भोजली घलो ह हमर तिहार के रूप म आसथा के परतीक हावय, भोजली दाई। भोजली ह एक लोक गीत हावय जेला सावन सुकुल पछ के पंचमी तिथि ले के राखी तिहार के दूसर दिन याने भादो के पहिली तिथि तक हमर छत्तीगढ़ राज म भोजली बोय के बाद बड़ सरद्धा भकती-भाव ले कुंवारी बेटी मन अऊ ़नवा-नेवरिया माईलोगन मन गाथे। असल म ये समय धान के…

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महान लोकनायक अउ समन्वयवादी कबि गोस्वामी तुलसीदास

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दील भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिन्दीत भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार, कवि हावय। हिन्दीत भाखा के भीतर म घलो अवधि, बरज, खड़ी बोली,छत्तीसबढ़ी भाखा म आथे। आचार्य रामचंद्र सुक्ल जी ह हिन्दीं साहित्य कि इतिहास ल चार काल म बांटे हावय बीरगाथाकाल जेला आदिकाल घलो कईथन,…

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नाग पंचमी के महत्तम

हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे जाथे। छोटे-मोटे जीव जंतु अउ मुसवा ह फसल ल नुकसान करे वाला जीव हावय। ओखर नास करके नाग ह हमर खेत के रछा करथे। सांप ह हमन ल कई परकार के संदेस घलो देथे। सांप के गुन देखे बर हमनकरा गुनग्राही अउ सुभग्राही नजर होना चाही। भगवावन दत्ता़त्रय…

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हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दीर भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिन्दीं भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार हावय। हिन्दीं भाखा के भीतर म घलो अवधि, बरज, खड़ी बोली,छत्तीसबढ़ी भाखा मन आथे। आचार्य रामचंद्र सुक्ल जी ह हिन्दी3 साहित्य के इतिहास ल चार काल म बांटे हावय बीरगाथाकाल जेला आदिकाल घलो कईथन, भक्तिकाल,…

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कबीरदास कोन ? एक भक्त , समाज सुधारक या एक रहस्यवादी जन कवि

हमर देस राज म साहित्य बैदिक काल ले आज तलक समरिध हावय चाहे वो जब हिंदी भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिंदी भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार, कवि हावय। हिंदी भाखा के भीतर म घलो अवधि, बरज, खड़ी बोली,छत्तीसबढ़ी भाखा म आथे। आचार्य रामचंद्र सुक्ल जी ह हिंदी साहित्य कि इतिहास ल चार काल म बांटे हावय बीरगाथाकाल जेला आदिकाल घलो कईथन, भक्तिकाल, रीतिकाल…

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अक्ती तिहार

छत्तीसगढ़ म हर तिहार ल हमन सुघ्घर रूप ले मनाथन। तिहार ह हमर घर, परिवार, समाज अउ संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम हे। तिहार ह हमर खुसी उत्साह के परतीक हावय जेला हमन सबो झन जुर-मिर के मनाथन। तिहार से हमन ल एक नवा उरजा मिलथे जेखर ले हमन अपन जीनगी म आने वाला कई परकार के बिघन-बाधा ल पार करके आघु बढ़े के सक्ती पाथन। पर आज के आघुनिकता के अंधा दउड़ म हमन अपन तीज-तिहार परिवारदार संगी-जवरिहां के संग मिल के…

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सिवनी (नैला) के चैत नवरातरी के संतोषी मेला

छत्तीसगढ़ म मेला ह हमर समाज संसकिरिती म रचे-बसे हावय जेखर कारन येखर हमर जीनगी म अब्बडेच़ महत्तम रखथे। माघी पून्नी ले जम्मों छत्तीसगढ़ म मेला भराये के सुरू हो जाथे। चाहे वोह राजीम के मेला हो, चाहे शिवरीनारायन के मेला, चाहे कोरबा के कंनकी मेला, चाहे कौड़िया (सीपत) के मेला, चाहे पीथमपुर (चांपा), चाहे सिवनी (नैला) जांजगीर के संतोषी मेला होवय। मेला के मतलब मोर अनुसार मेला-मिलाप एक माध्यम हावय। काबर के मेला बर गांव के छोटे से छोटे किसान से ले के बड़का किसान मन तक अपन बेटी…

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