अभी के समें अउ साहितकार

हमर देस ह संचार माध्यम के अतका बिकास करे ह हे जेकर बखान करना मुसकुल हे। संचार माध्यम म बिकास होय ले नुकसान जादा अउ फायदा कम दिखथे। मोबाइल अउ टीवी चैनल ह मनखे के जिनगी के रफ्तार ल बढादीस। मोबाइल आय ले चिट्ठी-पतरी लिखे बर मनखे भुलागे। इहां तक हमर साहित्य के छेत्र ह दिनोंदिन कमतियावत हे। आज के लइकामन मन साहित्य ले दूरिहावत हें। मोबाइल अड टीवी म अतेक भुलावय हावय के साहित्य लिखे-पढे छोड्त हें। चार दिन के जिनगी म मनखे ल थोरबहुत चैन से जिनगी जीना चाही।…

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