चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो , मिलजुल के माता रानी ला सजाबो । विराजे हाबे हमर घर दुर्गा दाई हा—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। फूल पान से सुघ्घर आसन ल सजाबो, लाली लाली चुनरी माता रानी ल ओढाबो। सोलह श्रृंगार करबो दुर्गा माता के—— चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। मंदिर म सुघ्घर नवजोत जलाबो, माता रानी ला आसन बइठाबो। सेवा गाबो दुर्गा माता के ——– चलो संगी आज नवरात्रि मनाबो।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
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दारू छोड़व
झन पी तैं दारू ला संगी , एक दिन तेहा पछताबे। सब कुछ खतम हो जाही ता , काला तेहा खाबे।। छोड़ दे तेहा दारू पीना , आदी तैं हो जाबे। बड़े बड़े बिमारी आही, जान अपन गंवाबे।। लड़ाई झगड़ा छोड़ दे , झन कर तैं अपमान। नारी होथे दुर्गा काली , ओकर कर सम्मान ।। अगर पीबे दारू त , जाही तोर इमान। रखले सबके इज्जत ला , मत बन तैं बेइमान।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreजाड़ भागत हे
जाड़ ह भागत हे जी, गरमी के दिन आगे। स्वेटर साल ल रखदे, कुछु ओढे ल नइ लागे। कुलर पंखा निकाल, रांय रांय के दिन आगे। घाम ह अब्बड़ बाढ़गे, गरम गरम हावा लागे। आमा अब्बड़ फरे हे, लइका मन सब मोहागे। चोरा चोरा के खावत लइका, ओली म धर के भागे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreराजिम मेला
राजिम मेला आगे संगी, घूमे ल सब जाबो। राजीव लोचन के दर्शन करके, जल चढ़ा के आबो। अब्बड़ भीड़ हाबे संगी, राजिम के मेला में। जगा जगा चाट पकौड़ी, लगे हे ठेला में। किसम किसम के माला मुंदरी सबोझन बिसाबोन। नान नान लइका मन बर, ओखरा लाई लाबोन। बड़े बड़े झूला लगे हे, लइका मन ह झूलत हे। ब्रेक डांस अऊ आकाश म, बइठे बइठे घूमत हे।। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreपरीक्षा
परीक्षा के दिन आगे जी , लइका मन पढ़त हे, अव्वल नंबर आही कहिके , मेहनत अबड़ करत हे। बड़े बिहनिया सुत उठ के , पुस्तक कापी ल धरत हे, मन लगाके पढ़त लिखत। जिंनगी ल गढ़त हे।। पढ़ लिख के विद्वान बनही, रात दिन मेहनत करके। दाई ददा के सेवा करही, सपना पूरा करके।। प्रिया देवांगन ” प्रियू” पंडरिया जिला – कबीरधाम (छत्तीसगढ़ ) Priyadewangan1997@gmail.com
Read Moreकविता – चिड़िया रानी
चिड़िया रानी बड़ी सयानी , दिनभर पीती पानी। दाना लाती अपना खाती, बच्चों को संग खिलाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी —-।। सुबह सुबह से , चींव चींव करके। सबको सपनों से जगाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। आसमान की सैर करती, बाग बगीचों में घूमा करती। रंग बिरंगी फूल देखकर , मीठी मीठी गीत सुनाती । चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। बच्चों को उड़ना सिखाती, घर घर के आंगन को जाती। चींव चींव कर सबको बुलाती, चिड़िया रानी चिड़िया रानी ।। दाना लाती पत्ते लाती, तिनका तिनका करके। पेड़ों…
Read Moreछेरछेरा
सबो संगवारी मिलके, झोला धरके जाथे। सब के मुहाटी मा, जा जा के चिल्लाथे।। छेरछेरा छेरछेरा, माई कोठी के धान ल हेरहेरा। अरन बरन कोदो दरन, जभे देबे तभे टरन।। कोनो देथे रूपया पइसा, कोनों धान ल देथे। धान मन ला बेंच के, पइसा ल बांट लेथे।। पुन्नी के मेला जी, इही दिन होथे। पइसा ल धरथे अऊ, मेला घूमे ल जाथे।। सबो संगवारी मन, मेला म मिलथे। हांस हांस के सबो झन, झूला ल झूलथे।। घूम घूम के अब्बड़, चाट गुपचुप खाथे । पेठा अऊ रखिया पाख धरके, घर…
Read Moreजाड़ अब्बड़ बाढ़त हे
बिहनिया ले उठ के दाई , चूल्हा ल जलावत हे । आगी ल बारत हे अऊ , चाहा ला बनावत हे । जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे हँसिया ला धर के दाई , खेत डाहर जावत हे । घाम म बइठे बबा , नाती ला खेलावत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे सेटर शाल ओढे हावय , घाम सबो तापत हे । किट किट दाँत करे , लइका मन काँपत हे ।। जाड़ अब्बड़ बाढ़त हे बिहना के उठइया मनखे , जाड़ मा नइ उठत हे । चद्दर ला ओढ के…
Read Moreसावन झूला
सावन महीना आ गे संगी , चलव झूला झुलबो । सखी सहेली सबो संगी, एके जगा मा मिलबो । अब्बड़ मजा आही बहिनी , जब झूला मा झुलबो । जाबो अमरइया के तीर मा , एके जगा सब मिलबो । मंदिर जाबो सबो झन हा , शिव भोला ल मनाबो । दूध दही अउ नरियर भेला, मन श्रद्धा से चढाबो । औघड़ दानी शिव भोला हे , सब ला देथे वरदान । नियम पूर्वक श्रद्धा से, करथे जे ओकर मान । सावन के सोमवारी मा , रहिबो हम उपवास ।…
Read Moreगरमी अब्बड़ बाढ़त हे
गरमी अब्बड़ बाढ़त हे, कइसे दिन ल पहाबो। गरम गरम हावा चलत हे, कूलर पंखा चलाबो।। घेरी बेरी प्यास लगत हे , पानी दिनभर पियाथे । भात ह खवाय नही जी, बासी गट गट लिलाथे। आमा के चटनी ह, गरमी म अब्बड़ मिठाथे। नान नान लइका मन, नून मिरचा संग खाथे। पेड़ सबो कटा गेहे, छाँव कहा ले पाबो। पानी सबो सुखा गेहे, प्यास कइसे बुझाबो।। चिरई चिरगुन भटकत हे, चारा खाय बर तड़पत हे। पेड़ सबो कटा गेहे, घोसला बनाय बर तरसत हे। प्रिया देवांगन “प्रियू” पंडरिया (कवर्धा )…
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