बारी के फूट

वाह रे बारी के फूट, फरे हस तैं चारों खूँट । बजार में आते साठ, लेथय आदमी लूट । दिखथे सुघ्घर गोल गोल, अब्बड़ येहा मिठाय । छोटे बड़े जम्मो मनखे, बड़ सऊंख से खाय । जेहा येला नइ खाय, अब्बड़ ओहा पछताय । मीठ मीठ लागथे सुघ्घर, खानेच खान भाय । बखरी मा फरे हावय, पाना मा लुकाय । कलेचुप बेंदरा आके, कूद कूद के खाय । नान नान लइका मन, चोराय बर जाय । कका ह लऊठी धर के, मारे बर कुदाय । कूदत फांदत भागे टूरा, नइ…

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गरमी आगे

आमा टोरे ल जाबो संगी , गरमी के दिन आये । गरम गरम हावा चलत , कइसे दिन पहाये । नान नान लइका के , होगे जी परीक्षा । मंझनिया भर घूमत हे , चड्डी पहिर के दुच्छा । ए डारा से ओ डारा मे , बेंदरा सही कूदथे । अब्बड़ मजा करथे लइका , पेड़ में अब्बड़ झूलथे । आइसक्रीम वाला आथे , अऊ पोप पोप बजाथे । लइका मन ल देख देख के अब्बड़ गाना गाथे । प्रिया देवांगन ” प्रियू “ पंडरिया

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मेला जाबोन

लगे हाबे जगा जगा मड़ई अऊ मेला। जाबोन हमूमन अऊ देखबो जी ठेला। मंदिर के दरसन बर लाइन लगाबोन । फूल पान बेल पतरी नरियर भेला चढाबोन । झूला ल झूलबोन अऊ अब्बड़ मजा पाबोन । रंग रंग के मिठाई अऊ पेडा ल खाबोन । मुर्रा लाइ अऊ बतासा अब्बड़ बेचाथे । नान नान लइका मन कूद कूद के खाथे। डोकरी दाई ल केरा अऊ अंगूर भाथे। मड़ई मेला जाबे त उहीच ल मंगाथे। मांघी पुन्नी के मेला संगी अब्बड़ मजा आथे। लइका सियान अऊ सबो झन घूमे ल जाथे।…

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छब्बीस जनवरी मनाबो “

छब्बीस जनवरी मनाबो संगी , तिरंगा हम फहराबो। तीन रंग के हमर तिरंगा, एकर मान बढाबो । ए झंडा ल पाये खातिर , कतको जान गंवाइस। कतको बीर बलिदानी होगे , तब आजादी आइस । हमर तिरंगा सबले प्यारा , लहर लहर लहराबो। छब्बीस जनवरी मनाबो संगी , तिरंगा हम फहराबो। चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह , जनता ल जुरियाइस। वंदे मातरम के नारा ल , जगा जगा लगाइस । सुभाष चंद्र बोस ह संगी , जय हिन्द के नारा बोलाइस। आजादी ल पाये खातिर , जनता ल जगाइस । वंदे मातरम…

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सबके पार लगइया – किसन कन्हैया

कृष्ण जन्माष्टमी ल पूरा देस में धूमधाम से अऊ बहुत उल्लास के साथ मनाये जाथे।काबर इही दिन भगवान सिरी किसन कन्हैया के जनम होय रिहिसे । जन्माष्टमी ल भारत भर में ही नही बल्कि बिदेस में बसे भारतीय मन भी ऊंहा धूमधाम से मनाथे।जन जन के आस्था अऊ विश्वास के प्रतीक भगवान सिरी कृष्ण ह स्वयं ए दिन पृथ्वी में अवतरित होय रिहिसे । एकरे पाय कृष्ण जन्माष्टमी मनाय जाथे । अवतार के दिन – भादो के महिना अंधियारी पाख में अष्टमी के दिन आधारात के भगवान सिरी कृष्ण ह…

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बादर गरजत हे

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] सावन भादो के झड़ी में, बादर ह गरजत हे । चमकत हे बिजली, रहि रहि के बरसत हे । डबरा डबरी भरे हाबे , तरिया ह छलकत हे । बड़ पूरा हे नदियाँ ह जी , डोंगा ह मलकत हे । चारों कोती खेत खार , हरियर हरियर दिखत हे। लहलहावत हे धान पान, खातू माटी छींचत हे । सब के मन झूमत हाबे, कोयली गाना गावत हे। आवत हाबे राखी तिहार, भाई ल सोरियावत हे। घेरी बेरी बहिनी मन , सुरता ल…

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दारु भटठी बंद करो

बसंती ह अपन गोसइन बुधारू ल समझात रहिथे के – तेंहा रात दिन दारू के नशा में बुड़े रहिथस।लोग लइका घर दुवार के थोरको चिंता नइ करस ।अइसने में घर ह कइसे चलही ।दारू ल छोड़ नइ सकस ? बुधारू ह मजाक में कहिथे – मेंहा तो आज दारू ल छोड़ देंव वो। बसंती चिल्लाथे — कब छोड़े हस, कब छोड़े हस ? फोकट के छोड़ देंव कहिथस । बुधारू – अरे आज होटल में बइठे रेहेंव न,आधा बाटल दारू ल उही जगा छोड़ देंव । बसंती — हाँ तेंहा…

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छब्बीस जनवरी मनाबो : वंदे मातरम गाबोन

छब्बीस जनवरी मनाबो छब्बीस जनवरी मनाबो संगी, तिरंगा हम फहराबो। तीन रंग के हमर तिरंगा, एकर मान बढाबो । ए झंडा ल पाये खातिर, कतको जान गंवाइस। कतको बीर बलिदान होगे, तब आजादी आइस । हमर तिरंगा सबले प्यारा , लहर लहर लहराबो। छब्बीस जनवरी मनाबो संगी, तिरंगा हम फहराबो। चंद्रशेखर आजाद भगतसिंह, जनता ल जुरियाइस वन्दे मातरम के नारा ल, जगा जगा लगाइस । सुभाष चंद्र बोस ह संगी, जय हिन्द के नारा बोलाइस। आजादी ल पाये खातिर, जनता ल जगाइस । वंदे मातरम के गाना ल, मिलके सबझन…

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अक्षर दीप जलाबोन

अक्षर दीप जलाबोन संगी निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन ज्ञान के मशाल धरके गली गांव तक जाबोन सब कोई पढ़बोन अऊ पढ़ाबोन सब कोई होही साक्षर नइ राहे तब ये जग म भंइस बराबर काला अक्षर नोनी पढ़ही बाबू पढ़ही पढ़ही बबलू के दाई डोकरा पढ़ही डोकरी पढ़ही अऊ पढ़ही मनटोरा माई आगे हवे चैत महीना जंवारा देखे ल जाबोन मां दुर्गा ह खुश होही जब ज्ञान के दीप जलाबोन | a href=”http://archive.gurturgoth.com/wp-content/uploads/2014/10/GG-Mini-Logo.jpg”> रचनाकार प्रिया देवांगन पंडरिया (कवर्धा) मो.- 9993243141

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