एक ठन नानकुन गाँव रिहिस, जिहाँ के जम्मो झन बने-बने अपन जिनगी ल जियत रिहिस। जम्मो पराणि मन ह मिर-जुल के रहत रहै। उहाँ एक झन डोकरी दई घलो रहै, जेखर कोनो नी रिहिस। ऊखर बेटा-बहु मन ह शहर म रहै बर चल दे रिहिस, जउन मन बड़ दिन बादर होगे नी आवत रिहिस। होली के तिहार ह मुड़ी म अवईया रहय। जम्मो घर-दुआर म लिपई-पोतई चलत रहै। घर के आघू ल गोबर म लिपत रहै। नगाड़ा के थाप दुरिहा-दुरिहा ले सुनावत रहै। रात म होलिका जलाये बर छेना-लकड़ी सकेलत…
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14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस खास…
तुहर मया खेलय कूदय रेहेव ननपन म, तोर मया के छाँव म। शहर म नइये अइसने सुख, जे मिलथे हमर गाँव म।। छलकत रहिथे ओ दाई, अब्बड़ मया हा तोर। कभु कभु तुहर मया म, टपकथे आँखी ले झोर।। नी सिरावय जइसने, चँदा सुरुज के अंजोर। वइसने अजर अमर हे दाई, तोर मया के डोर।। बुता करत हे ददा घलो, पानी बादर मंझनिया। लिखाय पढ़ाय बर हमन ल, कमाथे संझा बिहनिया।। रहिथो भले रईपुर म मैहा, पुछत रहिथो तुहर सोर। बने-बने हाबे ना, दाई ददा ह मोर।। डोकरी दई, बबा…
Read Moreबेरोजगारी
दुलरवा रहिथन दई अऊ बबा के, जब तक रहिथन घर म। जिनगी चलथे कतका मेहनत म, समझथन आके सहर म।। चलाये बर अपन जिनगी ल, चपरासी तको बने बर परथे। का करबे संगी परवार चलाये बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। इंजीनियरिंग, डॉक्टरी करथे सबो, गाड़ा-गाड़ा पईसा ल देके। पसीना के कमई लगाके ददा के, कागज के डिग्री ला लेथे।। जम्मो ठन डिग्री ल लेके तको, टपरी घलो खोले बर परथे। का करबे “राज” ल नौकरी बर, जबरन आज पढ़े बर परथे।। लिख पढ़ के लईका मन ईहाॅ, बेरोजगारी म…
Read Moreछतीसगढ़िया सबले बढ़िया
चिन्ता नईहे कोनो बात के, पाबे इहाँ कमईया। खेले होली म रंग-गुलाल, देवारी म जलाथे इहाँ दिया।। नदिया बईला कथे बईला ल, गाय ल गऊ मईया। कहाथन तभे तो भइया हमन, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया।। महामाया माता रतनपुर म, रईपुर म बंजारी मईया। बम्लाई मईया डोंगरगढ के, दंतेवाड़ा म दंतेश्वरी मईया। चरण पखारव मईया तुहर, मेहा संझा बिहनिया। कहाथन तभे तो भइया हमन, छतीसगढ़िया सबले बढ़िया।। राजिम म कुलेश्वर महादेव, अऊ कहाथे कुम्भ नगरिया। जतमई धाम अऊ घटारानी ह, नईहे जादा दूरिहा। गरियाबन्द के भुतेश्वर नाथ, लागो तोर मेहा पइया। कहाथन…
Read Moreनवा बछर के मुबारक हवै
जम्मो झन हा सोरियावत हवै, नवा बछर हा आवत हवै। कते दिन, अऊ कदिहा जाबो, इहिच ला गोठियावत हवै।। जम्मो नौकरिहा मन हा घलो, परवार संग घूमेबर जावत हवै। दूरिहा-दूरिहा ले सकला के सबो, नवा बछर मनावत हवै।। इस्कूल के लईका मन हा, पिकनिक जाये बर पिलानिंग बनावत हवै। उखर संग म मेडम-गुरूजी मन ह, जाये बर घलो मुचमुचावत हवै।। गुरूजी मन पिकनिक बर लइका ल, सुरकछा के उदिम बतावत हवै। बने-बने पिकनिक मनावौ मोर संगी, नवा बछर ह आवत हवै।। नवा बछर के बेरा म भठ्ठी म, दारू के…
Read Moreकिसान के पीरा
आज के दिन बादर ह मोला समझ म नइ आवय। एक डाहर राज्य सरकार मन ह किसान मन के करजा ल माफ करेबर परियास करथे, उहचे दूसर डाहर केन्द्र म बइठे नेता मन ह उही करजा के हाँसी उड़ाथे कि एहा आज काली फेशन बनगे हवै। इहाँ किसान मन ह करजा के मारे लदाके अपन जान घलो दे देवथे अऊ मंत्री मन वहू मा कमेंट मारे बर नइ छोड़त हवै। आज बिहिनिया कुन मेहा पेपर ल पलटत रेहेव त पढ़ेव कि आज एक झन अऊ किसान भाई ह करजा के…
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