प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन मा लान दे. फकत पिक्‍चर के गोठ ला, स्‍कूल मा गोठियाथे, लहु पसीना के कमई ला, होटल मा उकारथे. सियान के कहना माने, येला थोरिक धियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन…

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प्‍यारे लाल देशमुख के कबिता संग्रह ले दू ठन कबिता

बरदान दे हे गउरी के लाला गजानंद, हमला तंय बरदान दे. बिगडे तोर लईका मन ला, सोझ रावन मा लान दे. दारू सीजर रोज पियत हे, पान मसाला खावत हे, घर मा आके दाई ददा के, बारा रोज बजावत हे. पढई लिखई म चंट होवय, अइसन उनला गियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन मा लान दे. फकत पिक्‍चर के गोठ ला, स्‍कूल मा गोठियाथे, लहु पसीना के कमई ला, होटल मा उकारथे. सियान के कहना माने, येला थोरिक धियान दे, बिगडे तोर लईका मन ला सोझ रावन…

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