Raghvendra Agrawal

हरितालिका व्रत (तीजा)

भादो महीना अंजोरी पाख के तीजा के दिन सधवा माईलोगन मन अपन अखण्ड सुहाग के रक्षा खातिर श्रध्दा भक्ति ले… Read More

10 years ago

सावन के तिहार

सावन सोमवार- सावन महीना म भगवान संकर के पूजा करे के बिसेस महत्तम हे। रोज-रोज पूजा नई कर सके म… Read More

11 years ago

माँ-छत्तीसगढ़ के महत्व

जेन ह जिनगी भर लइका ल देते रहिथे। तभे तो प्रसाद जी कहे हे अतेक सुग्घर के मन म वोला… Read More

13 years ago

बरी बिजौरी करत हे चिरौरी

कहां नंदागे चरौंटा भाजी अउ गुरमटिया के भात।लागय सुग्घर खोटनी भाजी, खोटनी बरी संग भात।अब तो सुरता रहिगे, रंधनी घर… Read More

13 years ago

जइसे खाबे अन्न तइसे बनही मन

'सेठ ह कहिथे- महंतजी, मे ह चोरी के बाहना बिसाय रहेंव व वोमा मोला अड़बड़ फायदा होइस तेकरे सेती में… Read More

13 years ago

डॉ. सम्पूर्णानन्द के आस्था : नान्हे कहिनी

स्वाधीनता सेनानी डॉ. सम्पूर्णानंद के अपन देस के संस्कृति म खूब सरधा रहिस। वोकर इच्छा रहिस के हमर देस ह… Read More

13 years ago

भाव के भूखे भगवान – नान्हे कहिनी

एक समे के बात आय, एक झन नानकुन लइका पेड़ तरी बइठे रहय अउ का जानी काय-काय बड़बड़ावत रहय। उही… Read More

13 years ago

पेड़ लगावा जिनगी बचावा

'पेड़ लगाए के महत्त बहुत हावय। जेन पेड़ ल लगाये जाथे ओखर उपयोग मनखे ह कोनो न कोनो रूप म… Read More

13 years ago

अनुवाद : बारह आने

(मोरेश्वर तपस्वी ''अथक'' द्वारा लिखित ''बारह आने'' का अनुदित अंश)वो ह मोर हाथ ल धरलिस अउ एक ठन छोटकन पुड़िया… Read More

13 years ago

राघवेन्द्र अग्रवाल के गोठ बात : जान न जाइ नारि गति भाई

एक ठन गंवई रहय। उहां मनसे परेम लगा के रहत रहंय। एक दुसर के सुख-दु:ख म आवंय-जायं, माई लोगिन, बाब… Read More

14 years ago