आगे असाढ़ गिरे पानी रे गियां । भिंजे परवा चुहे छानी रे ।। पवन चले पुरवाही । अचरा उढाही रे गियां ।। करेजा करे चानी चानी रे । आगे असाढ़ ………
Read MoreTag: Ram Kumar Sahu “Mayaruk”
बरखा गीत
गरजत बरसत लहुकत हे बादर. आंखी म जइसे आंजे हे काजर. मेचका-झिन्गुरा के गुरतुर बोली हरियर हरियर, धनहा डोली बरसे झमाझम, गिरत हे पानी, माते हे किसानी, बइला, नांगर गरजत बरसत लहुकत हे बादर. आंखी म जइसे आंजे हे काजर. सुरूर सुरूर चले पवन पुरवइया अंगना म फुदरे बाम्भन चिरइया गली गली बन कुंजन लागे विधुन होगे एकमन आगर… गरजत बरसत लहुकत हे बादर. आंखी म जइसे आंजे हे काजर. खोर गली म चिखला पानी बोहागे रेला, कागद के डोंगी बनाय, खेले कोनो घघरइला सुरुज देवता के परछो नई मिले…
Read Moreकहिनी : नोनी दुलौरिन
टूरी कहूं लछमी, त कहूं दुरगा देवी के रूप म जनम लेथे। डीह डोंगर, ससुरे-मईके दूनो कुल के मरियादा होथे। ये ह मोर अंगना के फूल-फुलवारी, मोर बेटी मोर हीरा ए। येला लिखाहूं-पढ़ाहूं बड़े साहेब बनाहूं, इही मोर डीह-डोंगर के दिया बरईया ए। खद्दर के छानी म, दूनो परानी, अपन जिनगी के सुख-दुख ल घाम छइहां के खेल सही खेलत राहय। बने-बने म समय बीतत जल्दी पहा जथे, सुख के दिन पांखी लगा के लऊहा उड़ा जथे। बर-बिहाव संग-संग गवन-पठौनी होगे। भगवान जाते सांठ चिन डरिस। उही दिन के आवत…
Read Moreमाटी के दियना
माटी के दियना, करथे अंजोर। मया बांध रे, पिरितिया डोर॥ जगमग-जगमग लागे देवारी, लीपे-पोते घर, अंगना, दुवारी खलखला के हांसे रे, सोनहा धान के बाली चला चलव जी, लुए बर संगी मोर॥ माटी के दियना… नौकर-चाकर, सौजिया, पहटिया जोरे-जोरे बइहां रेंगे, धरे-धरे झौंहा डलिया चुक-चुक ले, गांव, गली, खोर माटी के दियना… छन-छन ले घाट-घटौंदा तरिया-डबरी, नरवा-नदिया पैडगरी लागे उजास रे माटी के दियना… रामकुमार साहू मयारू गिर्रा पलारी
Read Moreमाटी के दियना
माटी के दियना, करथे अंजोर। मया बांध रे, पिरितिया डोर॥ जगमग-जगमग लागे देवारी, लीपे-पोते घर, अंगना, दुवारी खलखला के हांसे रे, सोनहा धान के बाली चला चलव जी, लुए बर संगी मोर॥ माटी के दियना… नौकर-चाकर, सौजिया, पहटिया जोरे-जोरे बइहां रेंगे, धरे-धरे झौंहा डलिया चुक-चुक ले, गांव, गली, खोर माटी के दियना… छन-छन ले घाट-घटौंदा तरिया-डबरी, नरवा-नदिया पैडगरी लागे उजास रे माटी के दियना… रामकुमार साहू मयारू गिर्रा पलारी
Read Moreमया के तिहार
टीप-टीप तरिया डबरी नरवा नदिया कछार। आगे हरेली, राखी तीजा-पोरा मया के तिहार॥ माते हे रोपा-बियासी खेती-किसानी, जिनगी हमार। हरियर दाई के कोरा धरती माई करत हे सिंगार॥ टीप-टीप… कमरा-खुमरी ओढ़े नगरिहा धरे तुतारी बईला नागर। जबर छाती हावय रे भईया तोर कमईया जांगर॥ टीप-टीप… रच-रच, मच-मच गेड़ी बाजे जाता-पोरा नांदिया बईला साजे भोजली, जेवारा, दौनापान रे मयारू तोर मया चिन्हार॥ टीप-टीप… भोले बबा ल मनाबो रे- चढ़ाबो बेलपाती अउ नरियर। अवङड़ दानी ओ तो अविनासी हे अजर अमर॥ टीप-टीप… रामकुमार साहू ‘मयारू’ गिर्रा पलारी
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