खेत पार मा कुंदरा, चैतू रखे बनाय । चौबीसो घंटा अपन, वो हर इहें खपाय ।। हरियर हरियर चना ह गहिदे । जेमा गाँव के गरूवा पइधे हट-हट हइरे-हइरे हाँके । दउड़-दउड़ के चैतू बाँके गरूवा हाकत लहुटत देखय । दल के दल बेंदरा सरेखय आनी-बानी गारी देवय । अपने मुँह के लाहो लेवय हाँफत-हाँफत चैतू बइठे । अपने अपन गजब के अइठे बड़बड़ाय वो बइहा जइसे । रोक-छेक अब होही कइसे दू इक्कड़ के खेती हमरे । कइसे के अब जावय समरे कोनो बांधय न गाय-गरूवा । सबके होगे…
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छंद चालीसा – छत्तीसगढी छंद के कोठी
छंद चालीसा “छत्तीसगढी छंद के कोठी” रमेशकुमार सिंह चौहान प्रकाशक आशु प्रकाशन पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक सुंदर नगर, रायपुर (छग) मोबाईल : 09302179153 छत्तीसगढ राजभाषा आयोग के सहयोग से प्रकाशित आवरण चित्र : प्रकाश सिंह प्रकाश आवरण सज्जा : लोकेश सिंह चौहान प्रथम संस्करण : 2017 मूल्य : 200 रुपये मात्र कॉपी राइट : लेखकाधीन भूमिका गद्य विधा मा जउन महत्व व्याकरण के होथे, पद्य विधा मा उही महत्व छन्द के होथे। छन्द सीखे बर व्याकरण के ज्ञान जरूरी होथे अउ इही व्याकरण हर कोनो भाखा ला समृद्ध…
Read Moreछत्तीसगढ़ी के मानकीकरण बर
भाषा ह नाना प्रकार के व्यवहार बोल-चाल, पढ़ई-लिखई, बाजार, मनोरंजन आदि म मन के बात, संवेदना व्यक्त करे के माध्यम होथे। शासन अउ व्यक्तिगत चिठ्ठी-पतरी के माध्यम होथे। कोनो भाषा तभे पोठ होथे जब ओ भाषा हा, ओ भाषा के बोलईया मन के संगे-संग दूसर भाषा के बोलईया मन बर घला आदर्श होवय। कोनो भी बोली पहिली भाषा बनथे फेर एक मानक भाषा के रूप लेके व्यापक रूप मा प्रचारित हो जथे। हमर छत्तीसगढ़ी बोली हा भाषा के रूप ला पागे हे अब येखर मानक भाषा बने के यात्रा शुरू…
Read Moreचार बेटा राम के कौडी के ना काम के
छोहीहा नरवा के दुनो कोती दु ठन पारा नरवरगढ़ के । बुड़ती म जुन्ना पारा अउ उत्ती मा नवा पारा । जुन्नापारा मा गांव के जुन्ना बासिंदा मन के डेरा अऊ नवापारा मा पर गांव ले आये नवा मनखे मन के कुरिया । गांव के दुनो कोती मंदिर देवालय के ष्संख घंटा के सुघ्घर ध्वनि संझा बिहनिया मन ला सुकुन देवय । गांव के चारो कोती हरीयर हरीयर रूख राई, भरे भरे तरीया अउ लहलावत धनहा डोली, जिहां छेड़े ददरिया निंदत धान संगी अउ जहुरिया । जम्मो प्राणी अपन अपन…
Read Moreदोहावली
1. चार चरण दू डांड़ के, होथे दोहा छंद । तेरा ग्यारा होय यति, रच ले तै मतिमंद ।।1।। विसम चरण के अंत मा, रगण नगण तो होय । तुक बंदी सम चरण रख, अंत गुरू लघु होय ।।2।। 2. दुखवा के जर मोह हे, माया थांघा जान । दुनिया माया मोह के, फांदा कस तै मान।। 3. जीवन मा दिन रात कस, सुख दुख हा तो आय । दृढ़ आसा विस्वास हा, बिगड़े काम बनाय ।। 4. सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख । फूलय फरय ग दूसर…
Read Moreअनुवाद
1. कोशिश करईया मन के कभु हार नई होवय (मूल रचना – ‘‘कोशिश करने वालो की हार नही होती‘‘ मूल रचनाकार-श्री हरिवंशराय बच्चन ) लहरा ले डरराये म डोंगा पार नई होवय, कोशिश करईया मन के कभु हार नई होवय । नान्हे नान्हे चिटीमन जब दाना लेके चलते, एक बार ल कोन कहिस घेरी घेरी गिरते तभो सम्हलते । मन चंगा त कठौती म गंगा, मन के जिते जित हे मन के हारे हार, मन कहू हरियर हे तौ का गिरना अऊ का चढना कोन करथे परवाह । कइसनो होय…
Read Moreमोर मयारू गणेश
दोहा जऊन भक्त शरण पड़े, ले श्रद्धा विश्वास । श्रीगणेश पूरन करे, ऊखर जम्मो आस ।। चैपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे प्रभू तू दीन दयाला । । सबले पहिली तोला सुमरव । तोरे गुण गा के मै झुमरव ।।1।। तही तो बुद्धि के देवइया । तही प्रभू दुख के हरइया वेद पुराण तोरे गुण गाय। तोर महिमा ल भारी बताय ।।2।। दाई धरती ददा ह अकास । ऐ बात कहेव तू मन खास तोर बात ले गदगद महेष । बना दिहीस ग तोला गणेश ।।3।। शुरू करय…
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