होथे कइसे संत हा (कुण्डलिया)

काला कहि अब संत रे, आसा गे सब  टूट । ढोंगी ढ़ोंगी साधु हे, धरम करम के लूट ।। धरम करम के लूट, लूट गे राम कबीरा । ढ़ोंगी मन के खेल, देख होवत हे पीरा ।। जानी कइसे संत, लगे अक्कल मा ताला । चाल ढाल हे एक, संत कहि अब हम काला ।। होथे कइसे संत हा, हमला कोन बताय । रूखवा डारा नाच के, संत ला जिबराय ।। संत ला जिबराय, फूल फर डारा लहसे । दीया के अंजोर, भेद खोलय गा बिहसे ।। कह ‘रमेष‘ समझाय,…

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कवित्त छंद

ऐती तेती चारो कोती, इहरू बिछरू बन, देश के बैरी दुश्मन, घुसरे हे देश मा । चोट्टा बैरी लुका चोरी, हमरे बन हमी ला, गोली-गोला मारत हे, आनी बानी बेश मा ।। देश के माटी रो-रो के, तोला गोहरावत हे, कइसन सुते हस, कब आबे होश मा । मुड़ म पागा बांध के, हाथ धर तेंदु लाठी, जमा तो कनपट्टी ला, तै अपन जोश मा ।। 2-. फेशन के चक्कर मा, दूसर के टक्कर मा, लाज ला भुलावत हे, गांव के टूरा टूरी । हाथ धरे मोबाईल, फोकट करे स्माईल,…

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श्रीशमि गणेश मंदिर नवागढ

बेमेतरा जिला के नगर नवागढ के हिरदय स्थल मा भगवान गणेश के एक ठन अब्बड़ जून्ना मंदिर हे एइसे माने जाथे के ये मंदिर के निर्माण इहां के राजा रहिस श्री नरवर शाह खुसरो हा संवत 646 मा तांत्रिक तरीका ले करईस । 6 फूट के एके ठन पथरा मा भगवान गणेश के पदमासन मुद्रा उकेरे गे हे । मंदिर के तीरे मा तब ले अब तक एक ठन शमी के पेड़ हवय, जेखर सेती ऐला ‘श्री शमी गणेश‘ के नाम ले जाने जाथे । गणेश के मंदिर अऊ ओखर…

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वाह रे तै तो मनखे (रोला छंद)

जस भेडिया धसान, धसे मनखे काबर हे । छेके परिया गांव, जीव ले तो जांगर हे ।। नदिया नरवा छेक, करे तै अपने वासा । बचे नही गऊठान, वाह रे तोर तमाशा । रद्दा गाड़ी रवन, कोलकी होत जात हे । अइसन तोरे काम, कोन ला आज भात हे ।। रोके तोला जेन, ओखरे बर तै दतगे । मनखे मनखे कहय, वाह रे तै तो मनखे ।। दे दूसर ला दोष, दोष अपने दिखय नही । दिखय कहूं ता देख, तहूं हस ग दूसर सही ।। धरम करम के मान,…

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भोजली गीत

रिमझिम रिमझिम सावन के फुहारे । चंदन छिटा देवंव दाई जम्मो अंग तुहारे ।। तरिया भरे पानी धनहा बाढ़े धाने । जल्दी जल्दी सिरजव दाई राखव हमरे माने ।। नान्हे नान्हे लइका करत हन तोर सेवा । तोरे संग मा दाई आय हे भोले देवा ।। फूल चढ़े पान चढ़े चढ़े नरियर भेला । गोहरावत हन दाई मेटव हमर झमेला ।।       रमेश कुमार सिंह चौहान सुरता : छत्तीसगढ़ी भाषा अऊ छत्तीसगढ़ के धरोहर ल समर्पित छत्तीसगढ़ी काव्यांजली

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दू ठन गीत रोला छंद अउ कुण्डलियां छंद म

1. मोर गवा गे गांव (रोला छंद) मोर गवा गे गांव, कहूं देखे हव का गा । बइठे कोनो मेर, पहीरे मुड़ी म पागा ।। खोचे चोंगी कान, गोरसी तापत होही । मेझा देवत ताव, देख मटमटवत होही ।।1।। कहां खदर के छांव, कहां हे पटाव कुरिया । ओ परछी रेगांन, कहां हे ठेकी चरिया ।। मूसर काड़ी मेर, हवय का संगी बहना । छरत टोसकत धान, सुनव गा दाई कहना ।।2।। टोड़ा पहिरे गोड़, बाह मा हे गा बहुटा । कनिहा करधन लोर, देख सूतीया टोटा ।। सुघ्घर खिनवा…

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मोर मयारू गणेस

दोहा जऊन भक्त शरण पड़े, ले श्रद्धा विश्वास । श्रीगणेश पूरन करे, ऊखर जम्मो आस ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे प्रभू तू दीन दयाला । । सबले पहिली तोला सुमरव । तोरे गुण गा के मै झुमरव ।।1।। तही तो बुद्धि के देवइया । तही प्रभू दुख के हरइया वेद पुराण तोरे गुण गाय। तोर महिमा ल भारी बताय ।।2।। दाई धरती ददा ह अकास । ऐ बात कहेव तू मन खास तोर बात ले गदगद महेष । बना दिहीस ग तोला गणेश ।।3।। शुरू करय…

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कहानी : मुर्रा के लाडू

घातेच दिन के बात आवय ओ जमाना म आज काल कस टीवी, सिनेमा कस ताम झाम नई रहिस । गांव के सीयान मन ह गांव के बीच बइठ के आनी बानी कथा किस्सा सुनावय । इही कहानीमन ल सुनके घर के ममादाई, ककादाई मन अपन अपन नाती पोता ल कहानी सुना सुना के मनावाय लईका मन घला रात रात जाग के मजा ले के अऊ अऊ कहिके कहानी सुनय । ओही जमाना के बात ये जब मै छैय सात बरस के रहे हो हूं । हमन तीन भाई अऊ ममा…

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