हमर देस म कोनो छेत्र नइ बांचे हे जिंहा भ्रस्टाचार नइये। राजनीति म भ्रस्टाचार ह तो काजर के कोठी कस होगे हे। जेन राजनीति म जाथे वोकर उप्पर करिया दाग लगथेच। भ्रस्टाचार के पांव ह दूसर छेत्र म घलो पड गे हे। साहित्य छेत्र जिंहा अब तक मनीसी, चिंतक, साधु-संत जइसन मन के बोलबाला रिहिस आज उहां नकलची अउ भ्रस्ट लोगनमन के दबंगई चलत हे। दूसरमन के किताब ल अपन नांव ले छपवइया मन के घलो कमी नइये। छत्तीसगढ के साहित्य जगत म घलो अइसन होवत हे। पंडित मुकुटधर पांडेय,…
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मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे
बस मे कब ले ठाढे हँव बइठे बर जघा दे दे ले दे खुसर पाये हँव निकले बर जघा दे दे भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे मैं हर सांस लेवत हँव तैं कतक धकेलत हस भीड मे चपकाये हँव सांस भर हवा दे दे छेरी पठरु कर डारे मनखे ला अस भर डारे लइका भले तै झन दे सीट ला सगा दे दे समधी के सुआ मिर्चा भजिया खाये हे पेट गडगडाये हे टुरा के भरोसा का, दउड के दवा दे दे रामेश्वर वैष्णव (हिन्दी अनुवाद…
Read Moreरामेश्वर वैष्णव के कबिता आडियो
(राजनीतिज्ञो ने जो पशुता के क्षेत्र मे उन्नति की है उससे सारे पशु आतंकित है) पिछू पिछू जाथे तेला छटारा पेलाथे गा आघू म जो जाथे तेला ढूसे ला कुदाथे गा पूछी टांग के कूदय मोर लाल बछवा मोर लालू बछवा जब जब वो बुजा हा गेरुआ ले छुटे हे तब तब कखरो गा मुड कान फुटे हे हाथ गोड ना सही तभो ले दांत टुटे हे डोकरा अउ छोकरा ला खूदय, पूछी टांग के कूदय मोर लाल बछवा चिंग चडाग ले अस फलांग ले कूदय, मोर ….. खोरवा लहुट…
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