आह! घनचकरूं वाह!! रामकुमार धीवर, सीपत नेता नाव दलबदलू, खुरसी लोभी आप। कभू पंजा, कभू कमल, कभू कटोरा छाप।। कभू कटोरा-छाप, चुनाव बर भीखमंगा। पल-पल धोखा करय, जनता के बनाय नंगा।। आह! घनचकरुं वाह!! सुवारथी देसमेढ़ा। सरम-धरम खूंटी म, ओही ह असली नेता।। पूज ले अपन डउकी क, फूल नरियर चढ़ाव। मेड़वा डउका बनके, तरइ तोड़ लाव।। तरइ तोड़ लाव, पाबे चंदरमा दरसन। करबा- चउथ व्रत रख, डउकी ह होही परसन। आह! घनचकऊं, वाह!! मुड़वा ठकुराइ मूंछा। कलजुगी जमाना म, कर चार डउकी पूजा।। टोपी पहिर खादी के, नेता रूप…
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