छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच नी रहिस । हाथ म पइसा, कउड़ी रहतिस त बजार करथें, एकघ टारे कंस करथों माने नहि, त जायेच बर परिस। बस्ती के दूकान ले साबुन बनाये के कास्टिक सोडा बिसायेन । ओमन लीम तेल…

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छत्‍तीसगढी गोठ बात : जंवरा-भंवरा

एतवारी बजार के दिन । जाने चिन्हें गंवई के मोर संगवारी सिदार जी असड़िहा घाम म किचकिचात पसीना, म लरबटाये, हकहकात, सायकिल ले उतर के, कोलकी के पाखा म साइकिल ल ओधा के, हमर घर बिहनिया नवबजिहा आइन । कथें मोला- “हजी, चला बजार जाबो । थोड़कन हाट कर दिहा।” जाय के मन तो एकरच नी रहिस । हाथ म पइसा, कउड़ी रहतिस त बजार करथें, एकघ टारे कंस करथों माने नहि, त जायेच बर परिस। बस्ती के दूकान ले साबुन बनाये के कास्टिक सोडा बिसायेन । ओमन लीम तेल…

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