अरे गोई झमकत पानी भरल जवानी ऊपर करिया रात गोई रे, ऊपर करिया रात।। भेदी पइरी बोले बइरी मानत नह है बात गोरी रे, मानत नइ है बात। आंखी में आंजे हों जेला कर डारिस गा घात गोई रे, कर डारिस गा घात। दे के पीरा लूटिस हीरा बइठे हों पछतात गोई रे, बइठे हों पछतात। पानी बिन मछरी अस चोला है आंखी झरियात गोई रे, है आंखी झरियात मरत पियासे हैं संगी मन हैं देखत बरसात गोई रे, है देखत बरसात। लागत है हिरदे सुरता में जइसे टूटल पात…
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सरगुजिहा गीत- दिन कर फेर
देखा रे भाई कइसन दिन कर फेर। रात कभों दुख ले के आथे कभों उगत है बेर।। तीन लोक कर जे स्वामी गा राज-पाट सब छोड़िन। भाग बली गा उघरा पावें बन ले नाता जोड़िन। संग चलिन सीता माता गा है कइसन अन्धेर।। देखा रे भाई ……………….. जे सिरजिस संसार कहत हैं केंवटा पार उतारे। गंगा पर करे बर जोहें भवसागर जे तारे। जेकर बस में चांद सुरूज गा कहथें होत अबेर।। देखा रे भाई …………… काया-माया जेकर बस गो जे धरती ला धारे। सोन मिरग कर पाछू कूदिन बिन…
Read Moreसरगुजिहा व्यंग्य कबिता: लचारी
जीना दूभर होइस, अटकिस खाली मांस है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। झाडू-पोंछा बेटा करथे, घर कर भरथे पानी। पढ़ल-लिखल मन अइसन होथें, हम भुच्चड़ का जानी। दाई-दाउ मन पखना लागें, देवता ओकर सास है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। जबले घरे बहुरिया आइस, टी.बी. ला नइ छोड़े। ओकर आगू नाचत रथे, बेटा एगो गोड़े। रोज तिहार हवे उनकर बर, हम्मर बरे उपास है। बेटा अठवीं फेल, बहुरिया सुनथों बी.ए. पास है।। होत बिआह बदल गे बेटा, देथे हमला गारी। अप्पन घर हर भुतहा,…
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