मरनी भात

मरे मा खवाये संगी मरनी भात ये नो हे संगी सही बात जियत ले खवाये नहीं जिंयईया ला मरे के बाद खवाये बरा सोहारी अउ लाडू़ भात छट्ठी मा खवा के लाडू़ भात बताये अपन खुषी के बात फेर मरनी मा खवा के लाडू़ भात का बताना चाहत हस तिहि जान ? ये नो हे संगी सही बात मरे मा खवाये संगी मरनी भात मरनी घर के मन पडे़ हे अपन दुख मा ओ मन ला खुद के खाय के नई हे सुध हा का खाहू ओकर धर के भात…

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नंदागे

नंदागे आते सुघ्घर गांव नंदागे बर पिपर के छाव नंदागे माया पिरित ला सब भूला के सुनता के मोर गांव नंदागे भउरा बाटी गुल्ली डंडा घर घुधिया के खेल नंदागे किसानी के दवरी नंदागे अउ नंदागे कलारी जान लेवा मोटर-गाडी नंदागे बइला गाडी आमा के अथान नंदागे नंदागे अमली के लाटा अंजोर करइया चिमनी नदागे अउ नंदागे कंडिल पाव के पन्ही नंदागे आगे हाबे सेंडिल देहे के अंग रक्खा नदागे अउ नंदागे धोती बरी के बनइया नंदागे होगे येति ओति किसान के खुमरी नंदागे अउ नंदागे पगडी घर के चुल्हा…

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किसानी अपन करथो

सुत उठ बडे बिहनिया करम अपन करथो भुइंया के लागा छुटे बर म्हिनत मेहा करथो खुन पसिना ले सिच के धरती हरियर करथो मे किसान अव संगी किसानी अपन करथो जग ला देथो खाए बर मे घमण्ड चिटको नइ तो करो नइ रहाव ऐसो अराम मे महिनत करथो इमान ले छल नइ हे मोर मे नइ हे कपट महिनत हाबे मोर धरम भगवान नो हरो धरती के मइनखे मे हा हरो जानो मोर महिनत ला बस अतनि दया करो बासी पेज खा के जिनगी अपन जि थो किसान अव संगी…

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लघु कथा : ठेकवा नाव ठीक

एक ठन गांव मा ठेकवा नाव के एक-हजयन मइनखे रहाये, ओला अपन ठेकवा नाव बने नइ लागे ता हो हा नाव खोजे बर निकल जथे। ता हो हा एक ठन गांव मा जाथे उही मेरन एक-हजयन माइलोगिन गोबर बिनत रथे ता ओला ओकर नाव पुछथे ता ओ हा अपन नाव लक्ष्मी बाई बाताथे ता ठेकवा हा सोच थे एक-हजयन लक्ष्मी बाई रिहिस तेहा अंग्रेज मन संग लोहा ले रिहिस अउ एक-हजयन ऐ लक्ष्मी बाई ला देख ले गोबर बिनत हे। रस्ता मे उहि कारा ओला एक -हजयन भिखारी मिलथे ता…

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