हमर भारत भुइंया ह संसार के जम्मो देस म अपन संस्कारअउ संस्कृति के सेती अलगेच चिन्हारी रखथे।हमन परकिरती के पूजा करइय्या मनखे अन।परमात्मा के बनाय रुख राई,नदीया,पहाड,जीव-जंतु,चिरई चुरगुन ल घलो हमन पूजा करथन।फेर धीरे-धीरे हमन ए सबले दूरीहावत हन। जब ले मनखे ह मसीनी तरक्की के रसदा ल धरे हे ओला भोरहा होगे हे कि […]
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दाई के मया अऊ ददा के गारी। बस अतकी हमर पूंजी संगवारी। सुवारी के रिस अऊ लईका के किलकारी। बस अतकी हमर पूंजी संगवारी। कोठी भर पीरा अउ भरपेट लचारी। बस अतकी हमर पूंजी संगवारी। हिरदे के निरमल;नी जानन लबारी। बस अतकी हमर पूंजी संगवारी। कोठा म धेनु अऊ छोटकुन कोला बारी। बस अतकी हमर […]
सब हलाकानी हे
ददा के गोठ ल बेटा नइ भावय। घरो घर सास अउ बहू के कहानी हे। कतेक ल बताबे मितान? सब हलाकानी हे!!! लटपट लटपट टुरा दसमी पढे हे। बिहाव बर छोकरी खोजे म परसानी हे। कतेक ल बताबे मितान? सब हलाकानी हे!!! फोकट के जिनिस म घर-पेट भरत हन। अलाली म बितत हमर जिनगानी हे। […]
छत्तीसगढी गीत अउ साहित्य
तीन बछर पहिली के बात हरे। में ह अपन एक झन संगी दुनों एक ठ परीक्छा देवाय खातिर गे रहेंव। परीक्छा सुरू होय म थोरिक समे रिहिस त थोरिक मन बहलाय बर अपन मुबाईल म छत्तीसगढी गीत सुने लागेंव। ओतका बेर में हा पारंपरिक ददरिया गीत सुनत रेहेंव। मोर मुबाईल के गीत ल सुनके वो […]
नान्हे कहिनी – मन के पीरा
आज बिहनिया जुवार चंपा अउ रमेसरी नल मेर पानी भरे के बेरा म संघरिन त चंपा ह रमेसरी ल ठिठोली करत पूछथे-का होइस बहिनी! काली तो तोला देखे बर सगा उतरे रिहिस का? रमेसरी ओकर सवाल के अनमनहा जुवाब देवत किथे-हव रे! सगा मन आइन। चहा पीइन अउ फोन नंबर मांगके चलते बनिन। चंपा फेर […]
कलजुग केवल नाम अधारा : व्यंग्य
परन दिन के बात हरे जीराखन कका ह बडे बिहाने ले उठ के मोर कना आइस अउ पूछिस-कस रे बाबू! अब अधार बिना हमर जिनगी निराधार होगे का? में ह पूछेंव-का होगे कका? काबर राम-राम के बेरा ले बिगडाहा पंखा बरोबर बाजत हस गा? फेर कनो परसानी आगे का? मोर गोठ ल सुनके वोहा बताइस-हलाकानी […]
नवा साल : कहानी
जोहत कका ह हमर तीर-तार भर म नामही मंदहा बढई के नांव ले जाने जाथे। फेर ओकर गुन ले जादा ऐब ह ओकर चिन्हारी बनगे हवय । ओला खाय बर अन्न भले झन मिलय फेर संझउती बेरा म ओला दारु होना चाही। घर म बडका बेटा ललित,मंझली बेटी किरन अउ छोटकू बेटा हेमंत के संग […]
अंगरेजी नवा साल!!
हाडा ह कांपत हे अउ चटकत हे गाल! तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! दारू मंद के पारटी होही अउ कुकरा ह हलाल तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! तइहा के बात ल बइहा लेगे नवा रंग ढंग हे नवा चाल तभो ले मनाबो हम अंगरेजी नवा साल!! किसान बूडे करजा म अउ […]
हतास जिनगानी : नान्हे कहिनी
आज संझौती बेरा गांव के सडक तीर के एक ठन दुकान कोती घूमे बर गयेंव।नवा-नवा दुकान खुले रहय त संझौती बेरा म बहुत अकन मनखे के रेम लगय।काबर कि उंहा डिस्पोजल अउ चखना के बेवस्था घलो रहय। दुकानवाला ह कंगलहा दरुहा बर फोकट के हंडिया वाला पानी अउ पूरताहा बर फिरिज के पानी रखे रहय। […]
गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी
काली बिहाने के बात हरे। दांत म मुखारी घसरत तरिया कोती जावत रहेंव। उदुप ले रद्दा म बैसाखू ममा संग भेंट होगे। बैसाखू ममा ह बइला कोचिया के नांव ले पुरा एतराब म परसिध हे। ममा ह देखिस ताहने पांव परिस। पांव पैलगी के बाद पूछेंव-कस ममा बिकट दिन म दिखेस ग! मनमाने नोट छापे […]