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व्यंग्य

अस्पताल के गोठ

जादा दिन के घटना नोहय।बस!पाख भर पाछू के बात आय।जेठौनी तिहार मनावत रेहेन।बरदिहा मन दोहा पारत गांव के किसान ल जोहारे म लगे रहय।ए कोती जोहरू भांटो एक खेप जमाय के बाद दुसरइया खेप डोहारे म लगे राहय।भांटो ह घरजिंया दमांद हरे त का होगे फेर जांगरटोर कमइया मनखे हरे।अउ जांगरटोर कमइया मनखे ल हिरू-बिछरू […]

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गोठ बात

मितानी के बिसरत संस्कृति

हर बच्छर राखी तिहार के आगू नीते पाछू नवा पीढी के नान्हे-नान्हे लइका अउ सग्यान नोनी-बाबू मन ल एक-दूसर के हांथ म आनी-बानी रंग-बिरंगी सुंतरी बांधत देखथंव त अचरित लागथे।एला ओमन फरेंडशीप बेल्ट किथे।अउ ये बेल्ट बांधे के तिहार ल फरेंडशीप-डे।माने संगी जंहुरिया ल बेल्ट बांधके अपन संगी होय के दोसदारी जताय के परब।पहिली ये […]

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गोठ बात सुरता

सुरता चंदैनी गोंदा के

दाऊ रामचंद्र देशमुख ल छत्तीसगढी लोकमंच के पितामह केहे जाथे।इंकर जनम 25 अक्टूबर 1916 म पिनकापार (राजनांदगांव) म होय रिहिसे।फेर एमन अपन करमभूमि दुरुग के बघेरा गांव ल बनाइन।ननपन ले दाऊ जी ल नाचा गम्मत म रुचि रिहिस।सन् 1950 में दाऊ जी ह “छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल ” के स्थापना करिन।एकर सिरजन बर उन […]

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व्यंग्य

व्यंग्य : सरकारी तिहार

भारत देस तिहार अउ परब के देस हरे।अउ हमर छत्तीसगढ़ म तो बरमस्सी परब रथे।आनी-बानी के तिहार मनाथन हमन इंहा।पहिली सिरिफ पुरखा के बनाय तिहार मानत रेहेन फेर धीरलगहा संडे तिहार,चांउर तिहार,रुख-राई तिहार,भेलेनटाईन तिहार ,बिकास तिहार अउ एसो बोनस तिहार ल घलो मनाय बर सीखेन।अउ जेन मनखे संझौती बेरा पाव भर चढा लेथे ओकर बर […]

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गीत

छत्तीसगढ़ महिमा

जनम लेवइय्या ये भुंइया म,सिरतो कथंव भागमानी ए। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी ए। जनम धरिन कौसिला दाई रामलला के महतारी। बालमिक रमायन रचिस महिमा ह जेकर बड भारी। राजा दसरथ रेंगत आइस,इंहे सिंगी रिषी बरदानी हे। धुर्रा माथ लगावव संगी!ये माटी बलिदानी हे। बारा बच्छर बनवास कठिन राम-लखन इंहे काटे हे। जूठा बोईर […]

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व्यंग्य

छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य : सेल्फी कथा

जब ले हमर देस म मुबाईल सुरू होय हे तब ले मनखे उही म रमे हे।पहिली जमाना म मुबाईल ल सिरिफ गोठ बात बर बउरे।फेर धीरे धीरे एमा आनी बानी के जिनिस हमावत गिस।फोटू खींचे बर केमरा,बेरा देखे बर घडी,गाना सुने बर बाजा,अउ ते अउ फिलीम देखे के बेवस्था घलो इही म होगे।एकर आय के […]

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व्यंग्य

व्‍यंग्‍य : रावन संग भेंट

आज संझौती बेरा म दुरगा ठऊर म मिटिंग हावे किके कोतवाल हांका पारके चल दिस। जें खाके सब ला सकलाना हे। नी अवइय्या मन बर चार सो के दंड घलो राखे हे। जेला गराम बिकास म खरचा करे के बात हर मिटिंग म होथे। फेर ओला निझमहा देखके गांव के सियनहा मन ह सरकारी अनुदान […]

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कहानी

कहिनी : ममता

ममता एक झन ल पूछिस जेहा गाड़ी म बइठे रीहिस। का होगे? कइसे लागत हे एला ओ मनखे ह थोरिक ढकेलहा कस जुबान दिस मोर गोसईन हरे। कालीचे भात रांधत-रांधत लेसागे। उही ल अस्पताल लाने हावन। म मता नांवेच ल सुनके पता चल जथे कि कतिक मया ल समोय हे अपन भीतरी। ममता अऊ मया […]

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गोठ बात

अक्ती परब सीता ल बिहावय राजा राम – परब तिहार

हमर छत्तीसगढ़ के हर परब-तिहार के अलगे महत्तम हे। इहां के जम्मो मनखे मन म भारतीयता के संस्कार ह कूट-कूट ले भराय हे। वइसे तो साल भर के भीतर रंग-रंग के परब अउ तिहार ल मानथन हमन ह, फेर ये तिहार ह हमर छत्तीसगढ़िया किसान मन बर अलगेच महत्तम राखथे। गांव के छोटकुन लइका मन […]

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कहानी

मितानी के गांठ – कहिनी

दाई-दाई! मेंहा काली सलमा दीदी घर रहूं। दीदी ह मोला काली रूके खातिर बड़ किलोली करत रीहीस हे। बड़े बाबू ह घलोक रूके बर मनावत रीहीसे। ममता ह अपन दाई ल चिरौरी करत कहिथे। त दाई ह कथे- तेहां मोला झिन पूछ बेटी, तोर ददा ल जाके बता। ममता ह गांव के पंच कातिक के […]