जुग-जुग ले आंखी म आंसू, अउ हिरदे म घाव। कोन जनी कब मिलही तिरिया, जग म तोला नियाव।। होइस कभू तोर अंचरा दगहा, कभू मिलिस बनवास, तइहा जुग ले देवत परीक्षा, जिवरा होगे हदास। कोनो हारथे खेलत पासा, तोला लगाके दांव।। कोन जनी… कोन ल अपन बताबे इहां तैं, कहिबे कोन बीरान, तोर सनमान ल कोनो रंउदथे, लेथे कोनो परान। बनय नहीं कभू सुख के छइहां म, दुखिया तोर थिरभाव।। कोन जनी.. जिनगी म तोर दुख अउ पीरा, पांव-पांव म कांटा, देथस सुख तैं ज मो ल फेर, दुख ह…
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- Rita Vibhare