Sadanandini Verma

लघु कथा – दरूहा

सुकलू ह तीस बछर के रहिस हे अउ ओकर टुरा मंगलू ह आठ बछर के रहिस हे,सुकलू ह आठ-पन्दरा दिन… Read More

5 years ago

नान्हें कहिनी : तीजा के लुगरा

सुकलू के एकेच झन बहिनी रहिस सुखिया।तीजा-पोरा आवय त रद्दा जोहत राहय कि मोर भइया ह मोला लेगे बर कब… Read More

6 years ago

दोखही के दुख (लघु कथा)

सुखिया के बिहाव ह जेन दिन लगिस उही दिन ले सुखिया के आंखी मं बिहाव के नेंग-जोंग ह आंखी-आंखी मं… Read More

6 years ago

छत्‍तीसगढ़ी लघु कथा : दांड़

सुन्ना घर पइस त सुकालू ह सुखिया के हाथ-बांह ल धर दिस। ये गोठ ह आगी सरीक गांव भर मं… Read More

6 years ago

काकर लइका होइस – छत्‍तीसगढ़ी लघु कथा

सुखिया ह नवा-नवा बहू बनके आय रहिस। गांव के मन नवा बहूरिया ल देखे बर आवय त काहय,मनटोरा तय हर… Read More

6 years ago

मोर मन के पीरा

का दुख ल बतावंव बहिनी, मेहां बनगेंव गेरवा ओ। जेने घुंटा मं बांधिस मोला, उही मं बंधागेंव नेरवा ओ। पढ़-लिख… Read More

6 years ago

मोर मन के बात

आज फेर तोर संग मुलाकात चाहत हंव, उही भुइंया अउ उही बात चाहत हंव। के बछर बाद मं फेर वो… Read More

6 years ago

नवा बिहान

नवा बछर के नवा अंजोर, थोकिन सुन गोठ ल मोर। उही दिन होही नवा बिहान, जेन दिन छूटही दारू तोर।… Read More

6 years ago

छत्तीसगढ़िया कहां गंवागे

कभू-कभू मोर मन मं, ये सुरता आवत हे। इडली-दोसा ह संगी, सबो झन ल मिठावत हे। चिला-फरा ह काबर, कोनो… Read More

6 years ago

महतारी बरोबर भउजी

फेर सब्बो दिन अउ बादर ह एके नइ राहय। एक दिन जमुना के दाई ह भगवान के दुवार म चल… Read More

10 years ago