नवा थियेटर के वरिष्ठ कलाकार अऊ रिंगनी-रवेली नाच पार्टी के जोक्‍कर उदय राम श्रीवास

छत्‍तीसगढ़ के माटी म एक ले बढ़के एक लोक कलाकार मन के जनम होए हे। ये धरती के लोक कलाकार मन देस-बिदेश म अपन कला के डंका बजाए हें, तइसनहे एक कलाकार उदय श्रीवास घलो ह रहिस। उदय श्रीवास हास्‍य अउ व्‍यत्‍पुन्‍नमि के जबर कलाकार रहिस, उमन रोवत दर्शक मन ल घलो हंसाए के सामरथ रखत रहिन। छत्‍तीसगढ़ी लोक कलाकार धन्‍नु सिन्‍हा के बताती, उदय श्रीवास मंजे कलाकार  भर नइ रहिन उमन  बेकस्टेज मे प्रस्तुति के पहिली एक-एक कलाकार मन के कपड़ा, वेश-भूषा उपर तको चेत करंय अउ अपन ले…

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देहे ल घलव सीखव – नीति कथा

एक भिखारी बिहनिया भीख माँगे ल निकलिस। निकलत बेरा ओ ह अपन झोली म एक मुठा चना डार लीस। कथें के टोटका या अंधविश्वास के सेती भिक्षा मांगे बर निकलत समें भिखारी मन अपन झोली खाली नइ रखयं। थैली देखके दूसर मन ल लगथे के एला पहिली ले कोनो ह दान देहे हे। पून्‍नी के दिन रहिस, भिखारी सोचत रहिस के आज भगवान के किरपा होही त मोर ये झोली संझकुरहे भर जाही। अचानक आगू ले देश के राजा के सवारी आत दिखिस। भिखारी खुश हो गइस। ओ सोचिस के,…

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कालजयी छत्‍तीसगढ़ी गीत : ‘अंगना में भारत माता के सोन के बिहनिया ले, चिरईया बोले’ के गायक प्रीतम साहू

एक दौर था जब छत्‍तीसगढ़ में रेडियो से यह गीत बजता था तो लोग झूम उठते थे और बरबस इस गीत को गुनगुनाने लगते थे। छत्‍तीसगढ़ी लोक सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के आरंभिक दौर में ददरिया, करमा और सुवा गीत जैसे पारंपरिक लोक छंदों के बीच अपनी भाषा में भारत वंदना गीत सुनकर आह्लादित होना छत्‍तीसगढि़यों के लिए गर्व की बात थी। इस लोकप्रिय और कालजयी गीत के गायक प्रीतम साहू बताते हैं कि वे पहले आर्केस्ट्रा में हिन्‍दी फिल्‍मी गीत गाते थे। उनकी आवाज से प्रभावित होकर सोनहा बिहान के स्‍वप्‍नदृष्‍टा…

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मंगल पांडे के बलिदान : 8 अप्रैल बलिदान-दिवस

अंगरेज मन ल हमर देस ले भगाए बर अउ देसवासी मन ल स्‍वतंत्र कराए बर चले लम्बा संग्राम के बिगुल बजइया पहिली क्रान्तिवीर मंगल पांडे के जनम 30 जनवरी, 1831 के दिन उत्तर प्रदेश के बलिया कोति के गांव नगवा म होय रहिस। कुछ मनखे मन इंकर जनम उत्‍तर प्रदेश के साकेत जिला के गांव सहरपुर म अउ जन्मतिथि 19 जुलाई, 1927 घलोक मानथें। मेछा के रेख फूटतेच इमन सेना म भर्ती हो गये रहिन। वो बखत सैनिक छावनी मन म गुलामी के विरुद्ध आगी सुलगत रहिस। अंग्रेज मन जानत…

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बाबू जगजीवनराम अऊ सामाजिक समरसता : 5 अप्रैल जन्म-दिवस

हिन्दू समाज के निर्धन अऊ वंचित वर्ग के जऊन मनखे मन ह उपेक्षा सहिके घलोक अपन मनोबल ऊंचा रखिन, ओमां बिहार के चन्दवा गांव म पांच अप्रैल, 1906 के दिन जनमे बाबू जगजीवनराम के नाम उल्लेखनीय हे। ऊंखर पिता श्री शोभीराम ह कुछ मतभेद के सेती सेना के नौकरी छोड़ दे रहिस। उंखर माता श्रीमती बसन्ती देवी ह गरीबी के बीच घलव अपन लइका मन ल स्वाभिमान ले जीना सिखाइस। लइकई म बाबू जगजीवनराम के स्‍कूल म हिन्दू, मुसलमान अउ दलित हिन्दु मन बर पानी के अलग-अलग घड़ा रखे जात…

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सुरता – गीत संत डॉ. विमल कुमार पाठक

इतवार १४ जुलाई, २०१३ के संझा वीणा पाणी साहित्य समिति कोती ले पावस गोस्ठी के आयोजन, दुर्ग म सरला शर्मा जी के घर म होइस. कार्यक्रम म सतत लेखन बर छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के अधियक्छ पं.दानेश्वर शर्मा, जनकवि मुकुन्द कौशल, हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका डाॅ.निरूपमा शर्मा, संस्कृत हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी के वरिष्ठ लेखिका शकुन्तला शर्मा के सम्मान समिति ह करिस. ये अवसर म डॉ. विमल कुमार पाठक के घलव सम्मान होवइया रहिसे फेर डाॅ.पाठक कार्यक्रम म पधार नइ पाइन. कार्यक्रम बर डाॅ.पाठक के उप्पर लिखे मोर आलेख गुरतुर…

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रायपुर नगर निगम के मयारू : ठाकुर प्‍यारे लाल

अगस्त सन् 1937 म जब ठाकुर प्‍यारे लाल साहब रायपुर मुनिसपल कमेटी के अध्यक्ष चुने गीन तब मुनिसिपल कमेटी म डेढ़ लाख रूपिया के करजा रहिस। मुनिसिपल कमेटी के कर्मचारी मन के तरक्की छै-सात बछर ले रूके परे रहिस। इही हालत स्कूल के गुरूजी मन के घलोक रहिस। शहर के सड़क उखर गए रहिस, स्कूल के छत अतका टपकत रहिस के पढ़इया लइका मन ल स्कूल म बइठके पढना मुश्किल हो गए रहिस। ठाकुर साहब के दू साल के प्रेसीडेंटी म सब करजा अदा होगे, सड़क मन के हालत सुधार…

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मोर संग चलव रे ..

पं. दीनदयाल उपाध्याय : व्यक्तित्व अउ कृतित्व – संजीव तिवारी जनम अउ शिक्षा – कभू-कभू धरती के जनमानस ल नवा दिशा देहे अऊ जुग बलदे के उदीम ल पूरा करे बर युग पुरूष मन के जनम होथे। ओ मन संकट के समय म जनम लेहे के बाद घलोक अपन जनमजात चमत्कारिक प्रतिभा ले बड़े ले बडे़ काम पूरा करके अन्तरध्यान हो जाथें। बीसवीं शताब्दी के सुरू म भारतीय क्षितिज म कुछ अइसनहे जाज्ज्वल्यमान नक्षत्र मन के उदय होइस। जेमन अपन प्रकाश ले भारत वसुन्धरा ल आलोकित कर दीन। ए काल…

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सुरता : डॉ. विमल कुमार पाठक

डॉ. विमल कुमार पाठक सिरिफ एक साहित्यकार नइ रहिन। उमन अपन जिंदगी म आकाशवाणी म उद्घोषक, मजदूर नेता, कॉलेज म प्रोफेसर, भिलाई स्टील प्लांट म कर्मचारी, पत्रकार अउ कला मर्मज्ञ संग बहुत अकन जवाबदारी निभाईन। आकाशवाणी रायपुर के शुरुआती दौर म उंखर पहिचान सुगंधी भैया के रूप म रहिस अउम केसरी प्रसाद बाजपेई उर्फ बरसाती भैया के संग मिलके किसान भाइ मन बर चौपाल कार्यक्रम देवत रहिन। एखर ले हटके एक किस्सा उमन बताए रहिन -27 मई 1964 के दिन आकाशवाणी रायपुर म वोमन ड्यूटी म रहिन अउ श्रोता मन…

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श्रद्धांजलि – गीत संत: डॉ. विमल कुमार पाठक

हमर जइसे कबके उबजे कोलिहा का जाने खलिहान मन के सामरथ म डॉ. विमल कुमार पाठक के व्यक्तित्व अउ कृतित्व के उपर बोलना आसान नइ हे. तभो ले हम बोले के उदीम करत हन आप मन असीस देहू. एक मनखे के व्यक्तित्व के महत्व अउ ओखर चिन्हारी अलग अलग लोगन मन बर अलग अलग होथे. इही अलग अलग मिंझरा चिन्हारी ह ओखर असल व्यक्तित्व के चित्र खींचथे. जइसे हमर मन बर ‘राम‘ ह भगवान रहिस त केवटराज बर ‘पथरा ला मानुस बनईया चमत्कारी मनखे‘, परसराम बर धनुस ला टोरईया लईका..…

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