एक जमाना रहिस जब मैं छत्तीसगढ़ी के साहित्यकार मन ल ऊंखर रचना ले जानव। फेर धीरे-धीरे साहित्यकार मन से व्यक्तिगत परिचय होत गीस। महूँ कचरा-घुरुवा लिख के ऊंखर तीर बइठे बर बीपीएल कारड बनवा लेंव। समाज म अलग दिखे के सउंख एक नसा आय, लेखन एकर बर सहज-सरल जुगाड़ आय। घर के मुहाटी भिथिया म दू रूपया चाउंर वाला नाम लिखाये के का रौब-दाब होथे, एला झुग्गी-झोपडी मुहल्ला म रहे ले महसूसे जा सकत हे। जइसन समाज तइसन उहाँ के अलग मनखे, मने विशिष्ठ व्यक्ति। खैर, अलग दिखे बर, बन…
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छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम
मैं / मैं हर (मैं) – मैं दुरूग जावत रहेंव/ मैंं हर दुरूग जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली रईपुर जाबो। तैं / तें हर (तुम) – तैं का करत हस? / तैं हर का करत हस? तुमन (आप लोग) – तुमन कहां जावत हव। (बहुवचन)/ तुमन बने दिखत हव। (एकवचन) ओ / ओ हर (वह) – ओ खावत हे। / ओ हर खावत हे। ओमन (वे) – ओमन नई खईस। ए,/ एहर (यह) – ए कुकुर आए। / ए हर कुकुर आए। (एकवचन) एमन (ये) – एमन बिलासपुर…
Read Moreछत्तीसगढ़ी भांजरा
छत्तीसगढ़ी के मुहावरे अकल लगाना = विचार करना अंगठी देखाना = उंगली दिखाना अंग म लगना = अंग में लगना अंगरी जरना = उंगली जलना अंधियारी कुरिया = अंधेरी कोठरी अइसे के तइसे करना = ऐसी की तैसी करना अकल के अंधवा होना = अक्ल का अंधा होना अजर-गजर खाना = अलाय–बलाय खाना अद्धर करना = अलग करना अपन घर के बडे होना = अपने घर का बडा होना आँखी-आँखी झूलना = आँखों ही आँखों में झूलना आँखी-कान मूंदना = आँख-कान मूंदना आँखी के कचरा = आँख का कचरा आँखी…
Read Moreछत्तीसगढ़ी हाना
छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) अँधरा पादै भैरा जोहारै (अंधा पादे, बहरा जुहार करे) अँधरा खोजै दू आँखी (अंधा खोजे दो आँख) अँधवा म कनवा राजा (अँधों में काना राजा) अक्कल बडे के भैंस (अक्ल बडी की भैंस) अड्हा बइद प्रान घात (अनाडी वैद्य प्राण घातक होता है) अपन आँखी म नींद आथै (अपनी आँखों में नींद आती है) अपन कुरिया घी के पुडिया (अपना घर स्वर्ग समान) अपन मराए काला बताए (अपनी समस्या किसे बताएँ) अपन मरे बिन सरग नि दिखय (अपने मरे बिना स्वर्ग दिखायी नहीं देता) अपन…
Read Moreछत्तीसगढ़ी भाषा में रिश्ते-नाते
दाई / महतारी / दइ = माँ (Mother) ददा = पिता (Father) बबा = दादा (Paternal Grandfather) डोकरीदाई = दादी (Paternal Grandmother) कका = चाचा (Father’s Younger Brother) काकी = चाची (Father’s Younger Brother’s Wife) नानी / आजी, ममादाई = नानी (Maternal Grandmother) नाना /आजा बबा = नाना (Maternal Grandfather) मौसी दाई = सौतेली माँ (Step Mother) मौसी = मौसी (Mother’s Sister) मौसा = मौसा (Mother’s Sister’s Husband) ममा = मामा (Mother’s Brother) मामी = मामी (Mother’s Brother’ Wife) भई / भईया = माई (Brother) वृहद आनलाईन छत्तीसगढ़ी-हिन्दी शब्दकोश की…
Read Moreगरीबों का सहारा है, वही ठाकुर हमारा है : ठाकुर प्यारेलाल सिंह
ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़ म मजदूर मन के अधिकार खातिर आंदोलन के बाना उचईया पहिली मनखे रहिन। इंकर जनम 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिलाा के दैहान गांव म होए रहिस। इंखर पिताजी के नाम दीनदयाल सिंह अउ माताजी के नाम नर्मदा देवी रहिस। इंखर पढ़ई-लिखई राजनांदगांव अउ रायपुर म होईस। नागपुर अउ जबलपुर म इमन कालेत के पढ़ई करके 1916 म वकालत के परीक्षा पास करिन। लईकई ले ही आप अड़बड़ होसियार रहेव अउ राष्ट्रीय विचारधारा ले ओत-प्रोत रहेव। 1906 म बंगाल के क्रांतिकारी मन के संपर्क म आके…
Read Moreछत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़ी चिल्लाने वाले भी छत्तीसगढ़ी पढ़ना नहीं चाहते
फेसबुक में छत्तीसगढ़ी, छत्तीसगढ़िया और छत्तीसगढ़ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर हम आत्ममुग्ध हुए जा रहे हैं। इन शब्दों के सहारे हम अपनी छद्म अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं और अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं। मुखपोथी में सक्रिय छत्तीसगढ़ी भाषा के योद्धा नंदकिशोर शुक्ल जी लगातार जिस बात को दोहराते रहे हैं यदि उनकी बातों को ध्यान में नहीं रखा गया तो यह निश्चित है कि हमारी फेसबुकाइ हुसियारी धरी रह जायेगी और आपके देखते-देखते ही छत्तीसगढ़ी नंदा जायेगी। उनका स्पष्ट कहना है कि छत्तीसगढ़ी भाषा को प्राथमिक…
Read Moreछत्तीसगढ थापना परब अउ बुचुआ के सुरता
सोला साल के राज्य के स्थापना दिवस बर एक जुन्ना कहानी- बुचुआ के गांव म एक अलगे धाक अउ इमेज हे, वो हर सन 68 के दूसरी कक्षा पढे हे तेखरे सेती पारा मोहल्ला म ओखर डंका बाजथे । गांव के दाउ मन अउ नवां नवां पढईया लईका मन संग बराबर के गोठ बात करईया बुचुआ के बतउती वो हर सन 77 ले छत्तीसगढ राज के सपना संजोवत हे तउन ह जाके 2000 म पूरा होये हे । सन 1977 म मनतरी धरमपाल गुप्ता के झोला मोटरा ल धरईया बुचुआ…
Read Moreछत्तीसगढ़ी म छंद बरनन के पहिली किताब
लिखित साहित्य में अपन अनुभव ल बांटे बर पद्य अउ गद्य के उपयोग करे जाथे। जेमा पद्य के उंचहा मान हवय, पद्य ल गद्य के कसौटी तको कहे गए हे। तेखरे खातिर दुनिया के अलग अलग भाखा के साहित्यप मन म पद्य विधा ह सबले पहिली अपन जघा बनाए हे अउ लोक के कंठ म समाये हवय। पद्य के अपन स्वयं के गुन अउ विसेसता होथे जेखर सेती पद्य म लिखे अभिव्यसक्ति ल जन मानस ह लउहे समझथे अउ वोला गीत के रूप म अपन कंठ म बसा लेथे। आप…
Read Moreमोर डांड तो छोटे तभे होही संगी, जब आप बड़का डांड खींचहू
संगवारी हो, आपमन जानत हवव के हमर भाषा के व्याकरण हिन्दी भाषा के व्याकरण ले आघू लिखा गए रहिस। ये बात ह सिद्ध करथे के हमर भाषा अउ ओखर साहित्य तइहा ले मान पावत हे अउ समृद्ध हे। अब तो हमर भाषा राज भाषा बन गए हे अउ अब हमर राज काज के काम छत्तीसगढ़ी भाषा म घलव होही। आप मन ये उदीम करव के अब ले सरकारी चिठ्ठी-पतरी छत्तीसगढ़ी भाषा म लिखव। ये उदीम ले सरकार के कारिंदा मन चिठ्ठी के जवाब देहे खातिर छत्तीसगढ़ी भाषा ल पढ़हिं-समझहीं तो।…
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