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Tag: Sanjeeva Tiwari
छत्तीसगढ़ी भाखा के साहित्य ला चारो खूंट बगराए खातिर नवा प्रदेस म छत्तीसगढ़ी के मान रखइया संगी मन अपन अपन डहर ले सुघ्घर उदीम करत हांवय. अइसनेहे चौमासा पतरिका ‘बरछाबारी’ ला सरलग निकाल के भाई चंद्रशेखर ‘चकोर’ ह हमर भाखा के असल सेवा करत हांवय. ‘बरछाबारी’ के अंक मोला चकोर जी ह भाई जयंत साहू […]
परम्परा : छत्तीसगढ़ी म महामाई के आरती
छत्तीसगढ़ सक्ति उपासक राज ये, इंहा के जम्मों गांव म देवी आदि शक्ति के रूप महामाई के मंदिर हावय. गांव केमहामाई म दूनों नवरात म जोत जलाये जाथे अउ जेंवारा बोये जाथे. जम्मों गांव म नवराती के समय बिहनिया अउ संझा आरती होथे. छत्तीसगढ़ के जम्मों गांव म ये आरती हिन्दी के देवी आरती के […]
राजनांदगांव ले सात किलोमीटर दूरिहा रवेली गांव हे। रवेली गांव के दाउ बाड़ा के बड़का अंगना म बड़े पेट वाला नान्हे लईका दुलार खेलत रहय, उही समे मा लइका ने नाना सगा के रूप म आइस। नाना ह देखिस बाड़ा के अंगना म तुलसी चौंरा म माढ़े उडगुड़हा पथरा के मद्रासी भगवान कस अंगना म […]
कईसे करलाई जथे मोर अंतस हा बारूद के समरथ ले उडाय चारो मुडा छरियाय बोकरा के टूसा कस दिखत मईनखे के लाश ला देख के माछी भिनकत लाश के कूटा मन चारो मुडा सकलाय मईनखे के दुरगति ला देखत मनखे मन ला कहिथे झिन आव झिन आव आज नही त काल तुहूं ला मईनखे बर […]
छत्तीसगढ़ी के उपन्यास : मोर बिचार
मानुस समाज म हजारों साल ले डोकरी दाई के मुह ले कहिनी कहे के परम्परा रहे हे. हमर पारंपरिक कहिनी मन म देबी-देंवता, जादू-मंतर, विरह-परेम के अचरज मिंझरा किस्सा रहय. वो समें म हमर सियान मन ये कहिनी मन के सहारा लेके समाज ला सीख देहे के उदीम करंय. समें के अनुसार कहिनी के ये […]
गम्मतिहा : मदन निषाद
छत्तीसगढ़ के नाचा के मान ला देस बिदेस म फैलइया कलाकार मन म रवेली अउ रिंगनी साज के कलाकार मन के बड़ नाम हे। दाउ मदराजी के पंदोली अउ हबीब तनवीर के संगत म हमर पारंपरिक खढ़े साज नाचा के कलाकार मन अपन अभिनय के बल म हमर धरोहर लोक नाट्य नाचा के प्रसिद्धी ला […]
फिदा बाई छत्तीसगढ़ के नाच-गान म पारंगत देवार जात के बेटी रहिस। देवार डेरा म जनम के खातिर फिदा बाई बचपन ले अपन डेरा संग गांव-गांव घूम-घूम के नचई अउ गवइ करय, ओखर संग ड़ेरा के बड़े महिला मन तको नाचय-गावंय। देवार डेरा के पुरूष मन बाजा बजावंय अउ महिला मन नाचय, दाउ-गौंटिया अउ बड़े […]
लोक रंजनी लोक नाट्य : नाचा
कोनो भी प्रदेश के लोक नाट्य म हमर बीच के बोली अउ अपन बीच के कलाकार संग सिंगार के सहजता अउ सामाजिक संदेस होथे, जेखर भीतरी गीत-संगीत, नाच अउ अभिनय होथे। लोक नाट्य बर कोनो पोथी पतरा, किताब सिताब के नित-नियम के बंधेज नई रहय काबर कि लोकनाट्य ह हमर पुरखा मन मेर ले पीढ़ी […]
छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पंथी के बारे म जब-जब बात होही, देवदास बंजारे के नाव ला कभू भुलाए नइ जा सकय। गुरू बाबा घसीदास के अमर संदेसा ला जन-जन मेर पहुचईया अउ पूरा दुनिया म फैइलईया देवदास बंजारे हमर देश के बड़का लोक कलाकार रहिस। हमर प्रदेश के पारंपरिक लोकनृत्य अउ गीत पंथी ल देवदास जी […]