अंधियार गहरावत हे। मनखे छटपटावत हे। परकास के अगोरा म हाथ लमाये बइठे हे लोगन। परकास हमर जिनगी म कइसे हमाही, एकर चिनतन मनन अऊ परकास लाने के उदिम बहुतेच कम मनखे मन कर पाथे। जेन मनखे हा परकास ला भुंइया म बगराके, दुनिया ला जगजग ले अंजोर कर देथे उही मनखे हा जग म गुरूजी के नाव ले पुजाथे। गुरूजी हा अइसन परानी आय जेहा जिनगी भर, दिया कस बरके जग के अंधियारी ला दुतकारथे अऊ ललकारथे। लोगन ला बने रद्दा म रेंगाये अऊ ओकर ठऊर तक अमराये के…
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